मड़वास पंचायत में करोड़ों का फर्जीवाड़ा, जिम्मेवार मौन,

स्ट्रीट लाइट के नाम पर सबसे ज्यादा गोलमाल,

 

 

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। जिले के मझौली जनपद क्षेत्र अंर्तगत ग्राम पंचायत मडवास में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए की हेराफेरी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। सरपंच सचिव एवं रोजगार सहायक द्वारा किए गोलमाल की शिकायत पंचायत वासियों द्वारा विभाग के अधिकारियों से की जा चुकी है लेकिन आज तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पंचायत वासियों का आरोप है कि सरपंच सचिव द्वारा सरकारी राशि को हड़पने का राजनेताओं के सरंक्षण में धडल्ले से किया जा रहा है। गौरतलब हो कि मझौली जनपद के ग्राम पंचायत मड़वास में सरकारी योजनाओं के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है, जिसमें स्ट्रीट लाइट के नाम 10 वर्षों के भीतर करीब 40 लाख आहरण फर्जी वेंडरो के नाम किया गया है , जिन वेंडर के नाम भुगतान किया गया है वह किराना, सब्जी व टेंट कारोबारी है। कार्यालय व्यय के नाम पर दो वर्षो में करीब 25 लाख आहरण किया गया, यह कोई भी रजिस्टर्ड वेंडर नहीं है अपने सगे सम्बन्धी यएवं फर्जी वेंडर के नाम भुगतान किया गया है। जबकि शासन से आदेश है की अपने किसी सगे सम्बन्धी को कोई भी ग्राम पंचायत वेंडर नहीं बना सकती। इसी तरह मड़वास पंचायत में निर्माण कार्यों के नाम पर फर्जी 2 वर्षो में करीब 60 लाख फर्जी बिल लगाकर आहरण किया गया है जिसकी जांच होने पर बड़ा खुलासा हो सकता है। बताया गया है कि अगर जिला प्रशासन द्वारा इस मामले की जांच नहीं कराई जाती है तो यह पूरा मामला लोकयुक्त को सौंपा जाएगा।

 

 

कागज में दौड़ रहा कचरा वाहन,

 

 

ग्राम पंचायत मड़वास में बीते एक दशक से अधिक समय निकल गया और पंचायत का संचालन एक व्यक्ति के ही इशारे पर हो रहा है। जिसके द्वारा सरकारी खजाने में सेंध लगाने जमकर भ्रष्टाचार किया है। बताया गया है कि 2 नग कचरा वाहन ग्राम पंचायत मड़वास द्वारा क्रय किया गया जबकि आज तक यह वाहन कचरा उठाने लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा लेकिन हर माह चालक सहित रिपेयरिंग के नाम पर राशि आहरित की जा रही है।

 

 

मनरेगा योजना में सर्वाधिक झोलझाल,

 

 

 

बताया गया है कि ग्राम पंचायत मड़वास में मनरेगा योजना में जमकर झोलझाल किया गया है। यहां 75 लाख रुपए से अधिक का भुगतान झोले में संचालित वेंडरों के नाम किया गया है। खास बात यह है कि जिन वेंडरों को पेमेंट किया गया है वह जीएसटी कर नही जमा करते हैं। इस तरह से अगर सिर्फ 75 लाख रुपए के भुगतान को ही देखा जाए तो 18 प्रतिशत जीएसटी की राशि करीब 12 लाख रुपए सरकार के खजाने में नहीं जमा की गई है। कुल मिलाकर यह कहें कि मड़वास पंचायत से सरकार को करोड़ों रुपए की छती हुई है। सूत्रों की मानें तो सरपंच सचिव द्वारा अपने सगे संबंधियों के नाम भुगतान कर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है।

 

 

 

कलेक्टर से जांच कि मांग,

 

 

 

ग्राम पंचायत मड़वास के रहवासियों ने बताया कि पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर कई बार स्थानीय खंड प्रशासन को पत्र लिखा गया लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिससे यह साफ हो रहा हैं कि इस पूरे भ्रष्टाचार में खंड स्तरीय अमला शामिल हैं। ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए ग्राम पंचायत मड़वास हुए भ्रष्टाचार की जांच जिला स्तरीय टीम से कराने की मांग उठाई है।

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