विकसित कृषि संकल्प अभियान में किसानों को धान की डीएसआर पद्धति की सलाह दी गई,

डीएसआर पद्धति लागत को कम करने के साथ उच्च उत्पादकता और स्थिरता प्रदान करती है,

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी।  सीधी जिले में विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र सीधी एवं कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को धान की डीएसआर पद्धति अपनाने की सलाह दी गई। विकसित कृषि संकल्प अभियान में आठवें दिन पहले दल द्वारा रामपुर नैकिन विकासखंड में बड़ोखर, बूसी, भेलकी, दूसरे दल द्वारा सिहावल विकासखंड में पखरौही, सैरपुर, पटेहरा एवं तीसरे दल द्वारा मझौली विकासखंड में दरिया, टिकरी एवं भुमका में कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  कृषक संगोष्ठी में कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को बताया गया कि धान की डीएसआर (डायरेक्ट सीडेड राइस) पद्धति एक नवोन्मेषी और टिकाऊ कृषि तकनीक है, जिसमें धान के बीजों को सीधे खेत में बोया जाता है, बिना नर्सरी तैयार किए या रोपाई की प्रक्रिया अपनाए। इस विधि में बीजों को मशीनों या हाथों से उपयुक्त नमी वाले खेत में व्यवस्थित रूप से बोया जाता है, जिससे पानी, श्रम और समय की काफी बचत होती है। पारंपरिक रोपाई विधि की तुलना में डीएसआर पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है, क्योंकि यह जल संसाधनों का कम उपयोग करती है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करती है। इस पद्धति में खेत की अच्छी तरह जुताई, समतल करना और उचित बीज दर का उपयोग आवश्यक है ताकि अंकुरण और फसल वृद्धि बेहतर हो। डीएसआर में खरपतवार प्रबंधन एक चुनौती हो सकती है, जिसके लिए समय पर खरपतवारनाशी दवाओं का उपयोग या यांत्रिक निराई जरूरी है। इसके अतिरिक्त, मिट्टी की उर्वरता, सिंचाई व्यवस्था और कीट नियंत्रण का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। उचित प्रबंधन के साथ, डीएसआर पद्धति न केवल लागत को कम करती है, बल्कि उच्च उत्पादकता और स्थिरता प्रदान करती है, जिससे यह भारतीय किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन रही है।  विकसित कृषि संकल्प अभियान के अन्तर्गत 08.06.2025 को पहले दल द्वारा रामपुर नैकिन विकासखंड में कपुरी वेदोंलिहान, पचोखर, दुअरा, दूसरे दल द्वारा सिहावल विकासखंड में कुचवाही, जनकपुर, मुझरेठीखुर्द एवं तीसरे दल द्वारा मझौली विकासखंड में महखोर, खजुरिहा, मझिगवा में कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।

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