चार माह बाद भी दोषी अधीक्षक पर नही हुई कार्यवाही
एसडीएम मझौली की जांच में हुआ था भ्रष्टाचार का खुलासा
मामला आदिवासी बालक छात्रावास मड़वास का,

बीरबल समाचार सीधी। जिले आदिवासी विभाग में बीते कुछ वर्षों से जमकर अराजकता फैली हुई है, शिकायत के बाद भी दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो रही है। कुछ इसी तरह का मामला मझौली विकासखण्ड अंतर्गत मड़वास में संचालित आदिवासी बालक छात्रावास का सामने आया है जहां जांच प्रतिवेदन के चार माह बाद भी दोषी अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हुई। गौरतलब हो कि जनसुनवाई में मिली शिकायत पर कलेक्टर ने एसडीएम मझौली को इस संबंध की जांच के निर्देश दिये थे। शासकीय बालक आदिवासी छात्रावास मड़वास अधीक्षक के विरूद्ध अभिभावक हरिलाल कोल के द्वारा कलेक्टर की जनसुनवाई में 5 नवम्बर 2024 को आवेदन देकर बताया गया था कि 3 वर्षों से बच्चों को छात्रवृत्ति प्राप्त नही हुई है। अधीक्षक द्वारा बच्चों से अंगूठा लगवाकर पैसा निकाल लिया जाता है और छात्रावास से घर भेज दिया जाता है। अगर बच्चे पुन: छात्रावास पहुंचते हैं तो गाली देकर अधीक्षक द्वारा भगा दिया जाता है। उक्त शिकायत को गंभीरता से लेते हुये कलेक्टर द्वारा एसडीएम मझौली को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे। जिस पर मझौली एसडीएम आरपी त्रिपाठी द्वारा गठित टीम के साथ 6 नवम्बर 2024 को छात्रावास पहुंचे। जांच के दौरान विभागीय जिले की टीम भी वहां मौजूद थी। एसडीएम के द्वारा छात्रावास में मौजूद बच्चों से एक-एक करके पूंछतांछ की गई। बच्चों ने अधीक्षक राघवेन्द्र अहिरवार के ऊपर गंभीर आरोप लगाये। टीम द्वारा छात्र उपस्थित पंजी अप्रैल 2023 तक, कैसबुक पंजी दिनांक 12 जून 2023 तक, आदेश पंजी दिनांक 4 नवम्बर 2024 तक, स्वास्थ्य पंजी दिनांक 20 सितम्बर 2024 तक, दिनांक 10 अप्रैल 2024 तक अद्यतन पंजी वर्तमान अधीक्षक के द्वारा तैयार नहीं किया जाना पाया। वहीं स्थाई सामग्री स्टाक पंजी, अस्थाई सामग्री स्टाक पंजी उपलब्ध नहीं कराया गया। जबकि गाईडलाईन के अनुसार अभिलेख संधारण में घोर लापरवाही पाई गई। उल्लेखनीय हैं कि इसके पूर्व मड़वास तहसीलदार सुषमा रावत ने भी 10 अगस्त 2024 को अचानक छात्रावास पहुंचकर निरीक्षण किया था, उस दौरान भी अधीक्षक के द्वारा कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया। उधर कलेक्टर के निर्देश पर की गई जांच का प्रतिवेदन पांच माह पहले देने के बाद भी आज तक दोषी अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हुई।
जांच प्रतिवेदन में दण्डात्मक कार्यवाई का प्रस्ताव
बता दें कि इस मामले को लेकर एसडीएम मझौली द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि अधीक्षक राघवेन्द्र अहिरवार द्वारा अपनी पदस्थापना माह अप्रैल के पश्चात जारी गाइडलाईन के अनुसार अभिलेखों का संधारण नहीं किया गया। वहीं समय-समय पर प्राप्त धनराशि स्वयं के द्वारा आहरित कर अभिलेख संधारित नहीं करने से गंभीर वित्तीय अनियमितता एवं आपराधिक कृत्य किया गया है। प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर अधीक्षक को हटाकर विभागीय जांच संस्थित कर दण्डात्मक कार्यवाई किया जाना प्रस्तावित है। लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है, ऐसे में अब विभाग पर ही सवालिया निशान खड़ा होने लगा है।