आंगनबाड़ी केन्द्रों में पौष्टिक आहार को तरस रहे बच्चे
सीडीपीओ एवं खाद्यान्न सप्लायर करने वाले हो रहे हैं मालामाल,
बीरबल समाचार सीधी। महिला बाल विकास विभाग अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ी केंद्रों में सांझा चूल्हा योजना की राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद बच्चे पौष्टिक आहार को तरस रहे हैं, कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों को छोड़ दिया जाए तो साझा चूल्हा योजना अंतर्गत समूह संचालको द्वारा कागजों में बच्चों को पौष्टिक आहार का वितरण किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों सीडीपीओ, सुपरवाइजर को नहीं है लेकिन उनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है कि आंगनबाड़ी केंद्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के साथ ही मध्यान भोजन एवं खाद्यान्न सप्लाई करने वाले की मिली भगत की वजह से यह योजना ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रो में कागजों में ही संचालित है। इस संबंध में विभागीय जानकार बताते हैं कि सांझा चूल्हा के माध्यम से 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों को नवीन व्यवस्था की आंगनवाड़ी केंद्रों में सुबह का नाश्ता एवं दोपहर में पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए जिससे बच्चों का शारीरिक एवं बौद्धिक विकास सुनिश्चित हो सके। सूत्र बताते हैं कि जिले में रामपुर नैकिन क्षेत्र के नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में परियोजना अधिकारी, सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ताओं एवं खाद्यान्न सप्लाई करने वालों की वजह से अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों में उक्त योजना कागजों तक में ही संचालित है।
बच्चे कुपोषित, अमला तंदुरुस्त,
शासन द्वारा प्रति बच्चों के हिसाब से खाद्यान्न प्रदान किया जाता है किंतु यहां आंगनबाड़ी केंद्रों में योजना का लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है यहां तक की आंगनवाड़ी केंद्रों में पौष्टिक आहार खाने तो क्या देखने तक को तरस रहे हैं। हालात यह है कि बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं वहीं विभागीय अमला तंदुरुस्त हो रहा हैं। आरोप है कि डीपीओ एवं खाद्यान्न सप्लायर मिल वांट के शासन का लाखों रुपए प्रतिमाह डकार रहे हैं, किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र में मीनू का उल्लेख नहीं किया गया है शासन द्वारा बच्चों की भलाई एवं उनके शारीरिक मानसिक बौद्धिक विकास के लिए संचालित योजना का पैसा परियोजना अधिकारी सहित समूचे विभाग में बंदर बांट हो रहा है। सीधी जिले में आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत अत्यंत दयनीय हो चुकी है जबकि सरकार द्वारा इस योजना के तहत पर्याप्त राशि प्रदान की जा रही है। जिला कार्यालय से लेकर परियोजना अधिकारी कार्यालय में लंबे समय से पदस्थ लिपिक भ्रष्टाचार के मास्टर माइंड हैं, जिनके इशारे पर अधिकारी भी चलते हैं।
यह हैं शासन का मीनू
इस संबंध में जो शासन ने मीनू तय किया है उसके अनुसार आंगनवाड़ी में प्रत्येक बच्चे बच्ची को सोमवार को सुबह नाश्ते में 60 ग्राम पका केला या मौसमी फल दिया जाना आवश्यक है एवं गरम खाने में 140 ग्राम मीठा दलिया गेहूं या मूंग दाल, मंगलवार को नाश्ते में 60 ग्राम पका केला या एवं मौसमी फल खाने में 120 ग्राम रोटी सब्जी और दाल, बुधवार को 100 मल दूध नाश्ते में एवं खाने में 110 ग्राम खिचड़ी चावल एवं मूंग दाल, गुरुवार को नाश्ते में 55 ग्राम बेसन एवं 55 ग्राम तिल का लड्डू और खाने में 75 ग्राम चावल एवं चना दाल एवं लौकी, शुक्रवार को नाश्ते में 40 ग्राम मुरमुरे पोहा नींबू टमाटर के साथ एवं खाने में 50 ग्राम बाजार का खिचड़ा कढ़ी चावल दिया जाना आवश्यक है, इसी तरह शनिवार को नाश्ते में 50 ग्राम अंकुरित साबुत दालें मूंग मोठ चना एवं मूंगफली एवं खाने में 105 ग्राम खिचड़ी वाला चटनी और नींबू के साथ दिया जाना चाहिए किंतु उक्त महीना का किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र में पालन नहीं हो रहा है इसकी वजह से आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों की सेहत जहां एक और दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है वहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ की सेहत बेहतर हो रही है।