महिला बाल विकास की योजनाओं में लगा ग्रहण,
आंगनवाड़ी केंद्रों का नहीं होता औचक निरीक्षण,
कागजों में संचालित हो रहे अधिकांश केंद्र,
बीरबल समाचार सीधी। नगर पालिका परिषद सीधी क्षेत्र में संचालित दर्जनों आगनवाड़ी केंद्रों का नियमित रूप से ताला तक नहीं खुलता। कागजों में ही ज्यादातर केंद्र संचालित हो रहे हैं। केंद्रोंं के नियमित रूप से न खुलनें के कारण इनमें प्रवेशित बच्चों को पोषण आहार भी नहीं मिल रहा है। जिला मुुख्यालय में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों का यदि यह हाल है तो ग्रामीण अंचलों में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की हकीकत क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों की दशा और दिशा सुधारनें के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों की व्यवस्था सुधारने के लिए गोद लेने की पहल की गई थी। उस दौरान कुछ लोगों ने आगे आकर आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद भी लिया था। बाद में यह व्यवस्था भी शिथिल हो गई। जिला मुख्यालय में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत आज भी मनमानी में सिमटी हुई है। नगर पालिका परिषद सीधी क्षेत्र में वर्तामन मेंं 59 आंगनवाड़ी केंद्र संंचालित हैं। इन्हेंं दो सेक्टरों में विभाजित किया गया है। लेकिन सभी सेक्टरों में मनमानी का आलम है। यह अवश्य है कि कुछ आंगनवाड़ी केेंद्र संचालित हो रहे हैं उनमें बच्चों की उपस्थिति भी देखी जा रही है। जिन आंगनवाड़ी केंद्रों में दबंग घरानों की महिलाएं कार्यकर्ता हैं उनके द्वारा केंद्र में नियमित रूप से आने की जरूरत भी नहीं समझी जाती। कभी कभार ऐसे आंंगनवाड़ी केंद्रों का ताला सहायिका द्वारा खोलकर बच्चों को आधा-अधूरा पोषण आहार वितरित किया जाता हैै। आंगनवाड़ी केंद्रों के समीप रहने वाले रहवासियों से जब चर्चा की गई तो उनका स्पष्ट कहना था कि जब कोई अधिकारी आंगनवाड़ी केंद्रों की जांच करनेें नहीं आते तो स्वभाविक है कि इनका संचालन कैसे होगा। कार्यकर्ता महीना में कभी कभार ही नजर आती हैं। पूंछने पर उनके द्वारा कहा जाता है कि विभागीय मीटिंग एवं अन्य कार्य में व्यस्त थी। उनकी गैर मौजूदगी में जो केंद्र नियमित रूप से चल रहे हैं उनको खोलने और बंद करनें का कार्य सहायिका द्वारा किया जाता है। आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए काफी खिलौने दिए जाते हैं। लेकिन यह भी गायब रहता है।