ग्रामीण क्षेत्रों में धुंध से वाहन चालकों को हो रही परेशानी
शीत लहर के आगोश में पहुंच रहा है समूचा जिला
बीरबल समाचार सीधी।
नव वर्ष के आगाज के साथ ही मौसम ने करवट बदल ली है। सुबह से घना कोहरा छाए रहने से जन जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आस पास बना है। जिसके कारण वाहन चालकों को आवागवन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है। दिन का तापमान गिरने से दिन में भी लोगों को ठिठुरन भरी गलन का एहसास हो रहा है। आज से घने कोहरे के साथ कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। एकाएक ठंड बढ़ जाने से जिले का सामान्य जन जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। सुबह घने कोहरे के कारण सडक़ों पर पास खड़े लोग भी दिखाई नहीं देते। शैर सपाटे के लिए निकले लोगों को कोहरे के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वाहन चालकों को भी सुबह 8 बजे तक लाइट जलाकर वाहन चलाने की मजबूरी बनी हैं। कोहरे के अलावा ठिठुरन भरी गलन ने लोगों को कड़ाके की ठंड का एहसास करा दिया है। गुरुवार को दिन का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। गलन भरी ठंड से बचने के लिए लोग गरम कपड़ों से दिन को भी लिपटे नजर आ रहे हैं। कार्यालयीन कर्मचारी अपने रोजमर्रा के कार्यों को कड़ाके की ठंड के बीच मजबूरी में निपटाते नजर आ रहे हैं। इन्हें अवकाश वाले दिन का काफी बेसब्री से इन्तजार बना हुआ है। ताकि कम से कम अवकाश के दिन गलन भरी ठंड के बीच घर से बाहर निकलने से निजात मिल सके। जबकि छोटे कारोबारी देर शाम तक सडक़ों के किनारे मजबूरी में दुकान सजाकर बैठे नजर आ रहे हैं। चर्चा के दौरान कुछ लोगों का कहना था कि इस वर्ष दिसंबर तक ठंडक का असर ज्यादा नहीं था। इसी वजह से लोगों की दिनचर्या भी बनी हुई थी। नव वर्ष के आगाज के साथ ही गलन भरी ठंड का प्रकोप भी शुरू हो चुका है। गनीमत यह कि दिन में तेज धूप खिलने के कारण लोगों को काफी राहत मिल रही है। शाम ढ़लते ही गलन भरी ठंड का प्रकोप गहराना शुरू हो जाता है।
फसलों को बढ़ा पाला लगने का खतरा
कड़ाके की सर्दी के साथ घने कोहरे का नजारा ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। शहरी क्षेत्रों में अवश्य अभी कोहरे का प्रकोप शुरू नहीं हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां फसलों की सिंचाई और बुवाइ्र्र का कार्य चल रहा है। यहां सर्दी से बचने के लिए लोग घरों में आग जलाकर हाथ सेंकते रहे। दोपहर बाद लोग खरीददारी करने घरों से बाहर निकले। नये साल की शुरूआत होने के साथ ही यही दिनचर्या लोगों की बनी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों पर पाले की संभावना निर्मित हो रही है। पिछले वर्ष भी जिले में पाले के कारण फसलें खराब हुईं थी। पाला पडऩे से पहले किसानों को बचाव की तैयारी करने का मौका संभवत: कम ही मिलेगा। पाले के लिए आलू मटर, धनिया, सरसों, अरहर, सेंसेटिव फसलें हैं 5 डिग्री से नीचे तापमान जाने पर पाला पडऩे की संभावना बढ़ जाती है।

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