लीज की आड़ में भी चल रही कई अवैध खदानें
निरीक्षण एवं कार्यवाही में दिख रही है लापरवाही
बीरबल समाचार सीधी।
जिले में खनिज सामग्री निकालने के लिए जगह-जगह अवैध खदानें संचालित हो रही हैं। जिनके पास खदान के लिए लीज स्वीकृत है उनमें से भी कई लोग आसपास के क्षेत्रों में उसकी आड़ में अवैध खदानें संचालित कर रहे हैं। सबसे ज्यादा अवैध खदानें पत्थर एवं मुरुम की संचालित हो रही हैं। अवैध खदानों से खनिज सामग्री निकालने के बाद उन्हें खुला छोंड़ दिया जाता है। जिसके चलते यह खुले बड़े-बड़े गड्ढे एवं खाइयां बड़े हादसों को खुलेआम आमंत्रण दे रहे हैं। जिले के तहसील मझौली एवं तहसील बहरी अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में करीब एक दर्जन से अधिक खुली खदानें लंबे अर्से से हादसे को आमंत्रण दे रही हैं। किंतु स्थानीय प्रशासन की नजर अभी भी इन खुली पड़ी खदानों की तरफ नहीं पड़ रही है। जबकि ये खदानें कई लोगों सहित मवेशियों की जिंदगी निगल चुकी हैं। फिर भी इन खदानों को सुरक्षित करने प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लिहाजा इन खदानों में भरे गहरे पानी में मासूम बच्चे, किशोर एवं युवा डूब कर मरते रहे और माताओं की गोद सूनी होती गई। लेकिन मौत के बाद मर्ग, मुआयना और पोस्टमॉर्टम तक ही प्रशासनिक अधिकारी सीमित रहे। जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत ग्राम करमाई, खड़ौरा, बरमानी, खजुरिहा सहित अन्य गांवों में काफी गहरी खदानें हैं। जिनमें कहीं मार्बल पत्थर, ग्रेनाइट तो कहीं ठेकेदारों द्वारा काला पत्थर अथवा मुरुम की खोदाई कर गहरी खदानें बना दी गई हैं। इन खदानों से संबंधित ठेकेदार तो अपना काम निकाल कर चले गए। किंतु यह खदानें आस-पास के रहवासियों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं। इन खदानों में हमेशा घटनाएं घटती रहती हैं। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। जानकारों का कहना है कि सीधी जिले में चुरहट, रामपुर नैकिन एवं सिहावल क्षेत्र में भी अवैध खदानों का अवैध कारोबार लंबे अरसे से संचालित हो रहा है। राजस्व एवं वन भूमियों में सबसे ज्यादा अवैध खदानें संचालित हो रही हैं। दरअसल पहाड़ी क्षेत्रों एवं उससे लगे इलाकों में पत्थर एवं मुरुम बहुतायत में मिलता है। इसी वजह से अवैध खदानों का जाल भी इन्हीं क्षेत्रों में सबसे ज्यादा फैला हुआ है। खनिज विभाग के पास अमले की कमी के कारण उसके द्वारा अवैध खदानों के पास पहुंच पाना आसान नहीं रहता। किंतु राजस्व एवं वन अमले के पास मैदानी अमला की मौजूदगी के कारण उनको अवैध खदानों के संचालन के संबंध में पूरी जानकारी रहती है। सीधी जिले में अवैध खदानों के संचालन में संबंधित विभागों के मैदानी अमले की सांठ-गांठ सबसे ज्यादा बनी हुई है। इसी वजह से बड़े अधिकारियों तक अवैध खदानों के संचालन की पूरी स्थिति नहीं पहुुंच पाती। यह दीगर बात है कि जब कभी बड़े हादसे अवैध खदानों के चलते होते हैं उस दौरान आनन-फानन में कुछ कार्यवाही हो जाती है।
खाईनुमा गहरी खदानों से हो चुके हैं हादसे
मझौली खंड मुख्यालय से समीपी ग्राम करमाई में खदान मालिक जेयस वालिया निवासी लालघाटी भोपाल द्वारा वर्ष 2007-2011 तक मार्बल खदान का संचालन किया गया। तत्पश्चात गहरी खाईनुमा खदान को खुला छोड़ दिया गया। जिसमें पांच वर्ष पूर्व आदिवासी परिवार की दो किशोरियां की डूबने से मौत हो गई थी। दोनो बेटियां घर से महुआ चुनने निकली थी। खदान में पानी देख दो किशोरियां नहाने के लिए खदान में उतरी और डूब गईं। वहीं पुलिस चौकी मड़वास अंतर्गत ग्राम खजुरिहा गांव में दिलीप बिल्डकॉन कंपनी द्वारा सडक़ निर्माण के लिए मुरुम की खोदाई कर गहरी खदान बना दी गई थी। जिसमें बारिश का पानी भी काफी भरा हुआ था। स्थानीय निवासी प्यारेलाल सिंह की 16 वर्षीया पुत्री शांति सिंह की तीन वर्ष पूर्व इस खदान में डूबने में से मौत हो गई थी। इसी तरह पथरौला पुलिस चौकी अंतर्गत बरमानी गांव में पत्थर की खदान के भरे पानी में डूबने से तीन वर्ष पूर्व बरमानी निवासी सीताराम यादव के 10 वर्षीय पुत्र राहुल यादव की डूबने से मौत हो गई थी। वह अपने साथियों के साथ खदान के भरे पानी में नहाने गया था और गहरे पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई।