फर्जी रजिस्ट्री कराने एवं विक्रय के मामले में अभियुक्त की जमानत याचिका रद्द,
बीरबल समाचार सीधी। बताया गया कि दिनांक 02.12.2011 को तहसीलदार गोपदबनास, जिला सीधी ने आरक्षी केन्द्र कोतवाली, जिला सीधी में इस आशय का आवेदन प्रस्तुत किया कि ग्राम करौदिया उत्तर टोला स्थित भूमि खसरा कमांक 310/1 मिन-9, जो कि जयप्रकाश तनय जगन्नाथ मिश्रा के नाम से अभिलेख में दर्ज है, को पंजीकृत विकय पत्र दिनाकित 17.11.2011 के माध्यम से जीतेन्द्र सिंह द्वारा कय किया गया था तथा उसी के द्वारा विकेता जयप्रकाश के हस्ताक्षरित जबावदावा सहित नामातरण हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया तथा इश्तहार की प्रति भी पचों द विक्रेता के हस्ताक्षर कर पटवारी को सौपी, जिसके आधार पर नामातरण की कार्यवाही की गयी। डायवर्सन कार्यवाही के दौरान जब पटवारी मौके पर गया तो उसे ज्ञात हुआ कि विकेता जयप्रकाश की दो वर्ष पूर्व 03.12.2008 को ही मृत्यु हो चुकी है, तब उसने तहसीलदार को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसके आधार पर प्रकरण कमाक 5/3-74/11-12 दर्ज किया गया तथा विक्रय के दौरान जो ऋणपुस्तिका प्रस्तुत की गयी व फर्जी प्रतीत होती थी। उक्त प्रकरण की जांच पर फर्जी तरीके से नामातरण आदेश प्राप्त किया जाना पाया गया, जिस कारण नामांतरण आदेश निरस्त कर उक्त भूमि मृत खातेदार के नाम दर्ज की गयी। अतः फर्जी ऋणपुस्तिका तैयार कर उसके आधार पर फर्जी तरीके से विकय पत्र निष्पादित कराया गया है, जिसकी जांच की जावे। उक्त आवेदन के आधार पर आरक्षी केन्द्र कोतवाली में अभियुक्त जीतेन्द्र सिंह चौहान के विरूद्ध फर्जी तरीके से ऋण पुस्तिका निर्मित कर कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर व विक्रेता के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर भूमि क्रय किये जाने तथा भूमि का नामांतरण फर्जी तरीके से स्वयं के नाम कराये जाने का अपराध क्रमांक 118/2012 अंतर्गत धारा 420, 466, 467, 468, 471 भादवि पंजीबद्ध कर विवेचना की जा रही है। दौरान विवेचना पाया गया कि विक्रेता जयप्रकाश मिश्रा की मृत्यु दिनांक 03.12.2008 को ही हो चुकी थी, जबकि विकय पत्र दिनांक 14.10.2011 को निष्पादित किया ‘गया है, जिससे प्रथम दृष्टया ही फर्जी तरीके से विकय पत्र निष्पादित कराया जाना दर्शित हुआ। अपराध वर्ष 2012 में पंजीबद्ध हुआ, तत्पश्चात अभियुक्त की लगातार तलाश की जा रही है, परंतु अभियुक्त फरार रहा। अभियुक्त के द्वारा अग्रिम जमानत हेतु आवेदन माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसक शासन की ओर से पूर जोर विरोध लोक अभियोजक श्री सुखेन्द्र द्विवेदी द्वारा किया गया एवं तर्क प्रस्तुत किया गया कि इस प्रकम पर अभियुक्त को जमानत का लाभ दिये जाने से आवेदक के साध्य व साक्षीगण को प्रभावित किये जाने तथा विवेचना के प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। अतः प्रकरण की गंभीरता व उक्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए माननीय विशेष न्यायाधीश (अ.जा./अ.ज.जा. अत्या. निवा. अधि.) सीधी की न्यायालय के द्वारा अभियुक्त जीतेन्द्र सिंह चौहान द्वारा प्रस्तुत प्रथम अग्रिम जमानत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 482 बी.एन.एस.एस. निरस्त कर जेल भेजे जाने का आदेश पारित किया गया।