सेवादारों ने समेटा रावण का राख-फूल,

ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन का एक कोशिश अभियान,

 

 

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। दशहरा धूमधाम से बीत गया ,धू-धू कर रावण जला, असत्य पर सत्य की विजय हुई, भाषणों की झमाझम बारिश हुई, पटापट तालियाँ पीटी गयीं, हार-माला पहनाए-उतारे गए, ज़ोर-ज़ोर से पीठ ठोंकी गयी, इन सबके पीछे अकेला रह गया जलता-गिरता रावण राख बनकर। सीधी के क्षत्रसाल स्टेडियम में तो ऐसा ही नजारा था, बाक़ी देश का पता नहीं। दशहरा के अगली सुबह स्टेडियम में पॉपकॉर्न की बरसातियाँ, गुटखे के फाँके जा चुके पाउच, पानी के सूने पैकेट, फटे ग़ुब्बारों के टुकड़े, जले-अधजले पटाखों की बचन-कुचन और इन सबके बीच दशानन रावण के अस्थि अवशेष। क्षत्रसाल स्टेडियम में शहर भर के लोग सुबह-शाम की शैर के लिए आते हैं। फ़ौज में भर्ती की तैय्यारी करने वाले और पुलिस भर्ती के लिए फ़िज़िकल की तैय्यारी करने वाले युवाओं के जोश से पूरा मैदान गुलज़ार रहता है। दशहरा बीते दो दिन गुज़र गया, ना रावण की खोज -खबर लेने वाला कोई और ना ही स्टेडियम की। जब ज़िम्मेदार नहीं आए तो ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन के सेवादारों ने आज बड़े तड़के से कोशिश अभियान चलाकर पूरे स्टेडियम का कचरा हाथों से बिनकर साफ किया। परम्परा अनुसार रावण की अस्थियाँ भी समेट ली गयीं। ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन के प्रवक्ता सचिन पाण्डेय ने बताया है कि कोशिश अभियान की शुरुआत दशहरा के पावन अवसर की गयी है। इसके अंतर्गत सीधी के तमाम सार्वजनिक स्थलों का कचरा साफ किया जाएगा। श्री पांडेय ने कहा है कि हम बहुत कुछ भले ना कर पायें पर एक छोटी कोशिश तो कर ही सकते हैं। इसी प्रण के साथ कोशिश अभियान अनवरत जारी रहेगा।

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