बिना रजिस्ट्री हो गया नामांतरण, शिकायत के बाद हुआ खुलासा,
मामला चुरहट तहसील के नकवेल हल्का का,
सैकड़ों लोगों के नाम फर्जी नामांतरण का आरोप,
सीधी। जिले के चुरहट तहसील में बिना रजिस्ट्री के फर्जी तरीके से नामांतरण का मामला प्रकाश में आया है। मामले का खुलासा अखिलेश सिंह पिता कमलभान की शिकायत के बाद हुआ है। आरोप है कि तत्कालीन तहसीलदार मणिराज सिंह बागरी के कार्यकाल के दौरान इस तरह के एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों नामांतरण किए गए हैं, इस पूरे मामले में सरकार को लाखों रुपए की चपत लगीं हैं। ऊल्लेखनीय है कि जिले का चुरहट तहसील अपने इस तरह के कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है, अभी बायपास में फर्जी तरीके बटांकन कर भूमि स्वामियों के लाभ पहुंचाने का मामला ईओडब्ल्यू में विचाराधीन हैं और अब एक और मामला सामने आया है जिसमें टीप के आधार पर क्रेताओं का नामांतरण कर दिया गया है। इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए अखिलेश सिंह पिता कमलभान सिंह निवासी ग्राम कपुरी बघेलान ने एसडीएम को पत्र लिखकर जांच कर कार्यवाही मांग उठाई है। शिकायतकर्ता अखिलेश सिंह ने आरोप लगाया है कि गुलाब सिंह पिता हीरालाल सिंह ने चुरहट तहसील के नकवेल हल्का अन्तर्गत ग्राम नकवेल में आराजी खसरा नंबर 1440/1/1/1 /1/2 रकवा 0.033 हेक्टेयर भूमि संयुक्त रूप से क्रय की गई थी लेकिन गुलाब सिंह द्वारा चोरी छिपे तरीके से संपूर्ण रकवे का नामांतरण करा लिया गया है। और अन्य शामिल लोगों की भूमि गायब हो गई है। बताया गया है कि इस तरह से चुरहट तहसील में तत्कालीन तहसीलदार मणिराज सिंह बागरी के सैकड़ों लोगों के नाम नामांतरण किया गया है। अखिलेश सिंह की शिकायत के बाद समूचे चुरहट तहसील में हड़कंप मच गया है।
एसडीएम के यहां पहुंचा मामला,
नियम विरूद्ध तरीके से नामांतरण किए जाने की जानकारी मिलने पर तत्कालीन तहसीलदार मणिराज सिंह बागरी के खिलाफ एसडीएम से शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता अखिलेश सिंह के अनुसार नकवेल ग्राम की जिस भूमि का नामांतरण गुलाब सिंह द्वारा चोरी छिपे कराया गया है उसमें उनका भी नाम था लेकिन उन्हें तहसील कार्यालय से किसी भी प्रकार की सूचना तक नहीं दी गई और पटवारी एवं तहसीलदार ने मेरी जानकारी के बिना सम्पूर्ण रकबे को गुलाब सिंह के नाम नामांतरण कर दिया गया है। हालांकि इस मामले की जानकारी मिलने पर एसडीएम ने जांच कर कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
नहीं थम रही चुरहट तहसील की मनमानी,
बता दें कि जिले की एक ऐसी तहसील हैं जहां आए दिन फर्जीवाड़े की जानकारी उजागर होती रहती है। फर्जी नामांतरण का यह मामला जहां सुर्खियों में छाया हुआ है वहीं इसके पूर्व तत्कालीन तहसीलादार अमिता सिंह द्वारा वायापास निर्माण के पहले आधा सैकड़ा से अधिक किसानों से सांठगांठ कर फर्जी तरीके से मुआवजा दिलाया था। यह मामला अभी भी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रीवा में पंजीबद्ध है। कुल मिलाकर यह कहें कि सरकार को आर्थिक चपत लगाने में चुरहट तहसील का नाम हमेशा से छाया रहा है।
इनका कहना है।
प्रकरण नाम से मुझे याद नहीं है लेकिन हमारे यहां आया होगा तो तहसीलादर को जांच के लिए भेज दिया गया होगा। मैं एक बार फिर से उसका पता करवा लेता हूं और अगर नियम विरूद्ध तरीके से नामांतरण किया गया होगा तो जो भी इसमें दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जावेगी।