बीरबल समाचार सीधी। फर्जी लॉट व कई लाख के चावल डिपाजिट घोटाले को लेकर हुई जांच मे दोषी पाये गये मिलर्स पर कार्यवाही नहीं हो सकी है। जबकि जांच बाद दोष सिद्ध होने पर मिलर्स के विरुद्ध एफआईआर या फिर इन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिए था। ज्ञात हो कि खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में उपार्जित धान की मीलिंग के लिए जिला प्रबंधक मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लि. सीधी द्वारा अंतर जिला कस्टम मीलिंग के तहत रीवा के दो फर्म यश इंडस्ट्रीज एवं मां कृपा इंडस्ट्रीज प्रायवेट लिमिटेड मिलर्स को आदेश जारी कराया गया जबकि इन फर्मों द्वारा फर्जी लाट एवं कई लाख के चावल डिपाजिट का घोटाला करने पर इनके विरुद्ध जांच चल रही थी। पिछले माह जांच में दोनो मिलर्स दोषी पाए गए हैं। जांच पूरी हुए करीब माह भर हो गया है लेकिन आरोपी मिलर्स पर न तो एफआईआर दर्ज कराई गई है और न ही इन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है। ऐसे में दोनो मिलर्स संचालक पूर्व की भांति रीवा व अन्य दूसरे जिले के धान मीलिंग के कार्य में लगे हुए हैं। मामले में हकीकत यह है कि इस घोटाले में सीधी से रीवा तक के अधिकारियों की भी मिलीभगत है। जिस वजह से मिलर्स पर कार्यवाही होना सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।
अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप,
बताया गया है कि मिलिंग के लिए डीओ डिपाजिट, मिलर्स की बैेंक गारंटी, एफडीआर का संधारण, सत्यापन में हुई गड़बड़ी फर्जीवाड़ा को लेकर मप्र शासन खाद्य विभाग के आदेश क्रमांक/928/200211/29-1 भोपाल दिनांक 25/04/2024 द्वारा गठित जांच दल फर्जीवाड़े की जांच कर दिनांक 28/05/2024 को जांच प्रतिवेदन सौंपा गया। हालांकि घोटाले में मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड मुख्यालय भोपाल के आदेश क्रमांक/स्थापना/334369/2024/652 दिनांक 30/07/2024 को रीवा के एक कनिष्ठ सहायक कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन मुख्य भूमिका निभाने वाले अधिकारियों व मिलर्स पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जबकि इस फर्जीवाड़े में अधिकारियों की भी मिलीभगत है।
फर्जीवाड़े में मिलिंग फर्म हैं दोषी,
फर्जी लाट एवं चावल घोटाले में मिलिंग फर्म रीवा यश इंडस्ट्रीज एवं मां कृपा इंडस्ट्री प्रायवेट लिमिटेड भी दोषी पाए गए हैं। मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड मुख्यालय भोपाल के आरोप पत्र क्रमांक/स्थापना/334369/2024/777 भोपाल दिनांक 22/08/2024 के अनुसार यश इंडस्ट्रीज 75 लाट का सीएमआर चावल फर्जी डिपाजिट के जरिए निगम को नुकसान पहुंचाकर लाखो का फर्जीवाड़ा किया गया है। इसी तरह मां कृपा मिलर्स द्वारा 2000 क्विंटल धान की हेराफेरी कर कार्पोरेशन को नुकसान पहुंचाया गया है। जांच में मिलिंग नीति की कंडिका 10.1 का उल्लंघन मानते हुए दोषी पाया गया है। लेकिन इन पर कार्यवाही नहीं की जा रही है। बताया गया है कि मिलर्स पर राजनीतिक संरक्षण होने की वजह से कार्यवाही करने से परहेज किया जा रहा है।