भूमि से अतिक्रमण न हटने से शहर के विकास कार्य बाधित,
– उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद भी नहीं हट सके अतिक्रमण,
-समयसीमा में नहीं हो सकेंगे विकास कार्य पूर्ण,
बीरबल समाचार सीधी। मप्र शासन की पुनर्घनत्वीकरण योजनान्तर्गत शहर के विकास के लिए दी गई सीएलपी भूमि से अतिक्रमण के न हट पाने से विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि उच्च न्यायालय का निर्णय आने के 8 महीने बाद भी भूमि से अतिक्रमण नहीं हट सकता है। सीधी नगर सम्राट चौक स्थित राजस्व विभाग के शासकीय भूमि के खसरा क्र. 686, 687, 889/2 कुल रकवा 19101 की भूमि साधिकार समिति मप्र शासन द्वारा दिनांक 19 मई 2021 को मप्र शासन की पुनर्घनत्वीकरण योजनान्तर्गत सीएलपी भूमि के रूप में विकासकर्ता को दिया गया है। जिसके ऐवज में विकासकर्ता को राजस्व विभाग सीधी के शासकीय कार्यालयो एवं आवासीय भवनों का निर्माण कर राजस्व विभाग को सौपना था। किन्तु उक्त सीएलपी भूमि के 104 वर्गमीटर भूमि पर एक शासकीय कर्मचारी श्रीमती रन्नू देवी का कब्जा है। चूंकि वर्ष 1984 में मप्र शासन द्वारा श्रीमती रन्नू देवी को उक्त भूमि का पट्टा अस्थाई रूप से दिया गया था जो कि भविष्य मे उक्त भूमि पर शासकीय योजना लागू होने पर वापसी योग्य था। जब मप्र शासन की पुनर्घनत्वीकरण योजनान्तर्गत उक्त भूमि सीएलपी भूमि के अन्तर्गत आ गई तब राजस्व विभाग द्वारा श्रीमती रन्नू देवी को उस सीएलपी भूमि पर शासन द्वारा पूर्व में दिये गये अस्थाई पट्टे को निरस्त करते हुये अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गोपद बनास जिला सीधी द्वारा अपने पत्र क्र. 2321 दिनांक 29 सितंबर 2023 द्वारा वादी श्रीमती रन्नू देवी को अन्य स्थान ग्राम सीधी खुर्द के खसरा क्र. 148 रकवा 15X30 =450 वर्गफुट का अस्थाई पट्टा वादी को आवंटित कर दिया गया। अनुविभागीय अधिकारी के उक्त आदेश के खिलाफ श्रीमती रन्नू देवी ने उच्च न्यायालय जबलपुर मे प्रकरण डब्ल्यूपी 21599/2024 दायर कर दिया । जिस संबंध में उच्च न्यायालय ने दिनांक 02 अगस्त 2024 को अपना निर्णय दिया जिसके अनुसार राजस्व विभाग को निर्देशित किया गया कि अनुविभागीय अधिकारी के आदेश अनुसार ग्राम सीधी खुर्द के आराजी क्र. 148 का सीमांकन कर 450 वर्गफुट जमीन पर कब्जा वादी श्रीमती रन्नू देवी को दिया जा कर तथा संबंधित पट्टे का आवंटन आदेश वादी के पक्ष में जारी किया जाये। तथा नये आवंटन आदेश जारी होने के 60 दिन बाद वादी को वर्तमान कब्जे वाली भूमि रिक्त कर देना है। उसके बाद वादी का कोई दावा उस भूमि या भवन पर नही रहेगा जिस पर वादी वर्तमान में रह रहा है। उच्च न्यायालय को परिपालन में बादी के पक्ष में पूर्व में ही अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गोपद बनास जिला सीधी द्वारा पट्टा आदेश जारी किया जा चुका है एवं उक्त भूमि का सीमांकन तहसीलदार गोपद बनास जिला सीधी द्वारा अपने पत्र क्र. 80 दिनांक 08 अगस्त 2024 द्वारा किया जा चुका है। फिर भी अभी तक बेदखली कार्यवाही नहीं हुई जिसका असर विकास कार्यों पर है।
मप्र गृह निर्माण आयुक्त ने फिर भेजा पत्र –
इसी तारतम्य में तत्कालीन आयुक्त मप्र गृह निर्माण एवं अधो. विकास मण्डल मुख्यालय भोपाल के द्वारा अपने संदर्भित पत्र क्र. 24 दिनांक 08 जनवरी 2025 कलेक्टर सीधी को उक्त पट्टा धारियो को शीघ्र विस्थापित करने यो लिये लेख किया गया था। ताकि योजना निर्बाध पूर्ण हो सकें एवं कोई न्यायालयीन विवाद विकासकर्ता के साथ न हो। अब आयुक्त मप्र गृह निर्माण एवं अधो. विकास मण्डल मुख्यालय भोपाल के द्वारा फिर कलेक्टर सीधी को पत्र क्र. 1007 दिनांक 4 अप्रैल 2025 के माध्यम से उक्त सीएलपी भूमि को अतिक्रमण से शीघ्र मुक्त करवाकर विकासकर्ता को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है जिससे की शासन की पुनर्घनत्वीकरण योजना के अन्तर्गत राजस्व विभाग के कार्यालय भवन एवं आवासीय भवनों का निर्माण समय सीमा में पूर्ण किया जा सकें।