जिले की रेत खदानों के संचालन को लेकर बनी अनिश्चितता,
अब 14जुलाई को हाईकोर्ट में होगी सुनवाई,
मानसून से जून के अंतिम में बंद हो जाएंगी खदानें,
बीरबल समाचार सीधी। जिले की रेत खदानों के संचालन को लेकर पूरी तरह से अनिश्चितता निर्मित हो गई है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में डब्ल्यूपी संख्या 34655/2024मेसर्स सहकार ग्लोबल लिमिटेड बनाम मध्यप्रदेश राज्य और अन्य में अभी 5 मई को पेशी थी। इस मामले में अब हाईकोर्ट में सुनवाई 14 जुलाई 2025 हो गयी है। मालूम रहे कि मानसून के चलते रेत खदानों का संचालन 15 जून से 30 जून तक में बंद हो जाता है। सहकार ग्लोबल लिमिटेड द्वारा सीधी जिले की सभी रेत खदानों के लिये ई-टेण्डर के माध्यम से जिम्मेदारी लेने के बाद खदानों के संचालन में पूरी तरह से पेंच फंसा दिया गया है। सहकार ग्लोबल लिमिटेड द्वारा रेत खदान संचालन के लिये अनुबंध करने की बजाय सीधे हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर यह पक्ष रखा गया कि टेण्डर के दौरान खनिज विभाग द्वारा रेत खदानों में उपलब्ध रेत की मात्रा के संबंध में जो जानकारी दी गयी थी मौके पर नहीं है। जबकि ई-टेण्डर कार्यवाई के दौरान ही यह स्पष्ट रूप से शर्त रखी गयी थी कि संबंधित संविदाकार रेत खदानों में मौजूद रेत की मात्रा का आंकलन करने के पश्चात शपथ पत्र के माध्यम से अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुये ई-टेण्डर कार्यवाई में शामिल हों। हैरत की बात तो यह है कि माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड उक्त आरोप के संबंध में हाईकोर्ट में अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रख पाया है जिसके चलते मामले में हाईकोर्ट से केवल तारीख पे तारीख मिल रही है। इसी वजह से रेत खदानों का संचालन पूरे सत्र में सीधी जिले में नहीं हो सका और लोगों को काफी महंगे दामों में रेत की खरीदी करनी पड़ रही है। इस मामले में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि कहीं न कहीं बड़े अधिकारी भी सहकार ग्लोबल को संरक्षण परदे के पीछे से प्रदान कर रहे है, जिसका खामियाजा सीधी वासियों को भुगतना पड़ रहा है। फिर भी सीधी जिले के जिम्मेदार आम लोगों की रेत की समस्या पर सार्थक कार्यवाही सुनिश्चित कराने की बजाय चुप्पी साधे हुए हैं।
इनका कहना है।
सीधी जिले की रेत खदानों के मामले में जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आता और अनुबंध की कार्यवाही नहीं होती संचालन हो पाना संभव नहीं है। इस मामले में कोर्ट के निर्णय पर ही अब सब कुछ निर्भर है।
शिशिर यादव, प्रभारी
खनिज अधिकारी सीधी।