सिर्फ पठन-पठन की औपचारिकता पूर्ण कर रहीं शासकीय विद्यालय,
सीएम राइज व मॉडल विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति नगण्य,
बीरबल समाचार सीधी। एक तरफ प्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल माह में विद्यालय संचालित करने एवं विद्यार्थियों को पठन पाठन कराए जाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं जिसके तहत विद्यालय तो संचालित हो रहे हैं लेकिन उनमें छात्र-छात्राओं की उपस्थिति काफी कम रहती है जिससे यही माना जा रहा है कि विद्यालयों का संचालन औपचारिकता में सिमट रहा है। मीडिया द्वारा जनपद मुख्यालय मझौली की दो बड़ी विद्यालयों सीएम राइज उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं मॉडल उत्तर विद्यालय में मंगलवार 22 अप्रैल को लगभग 11 बजे जायजा लिया गया जिसमें सीएम राइज में बताया गया कि कक्षा 9 से 12 तक में लगभग 400 छात्र-छात्रा दर्ज हैं जबकि उपस्थित महज 20 से 25 की रही। प्राचार्य की अनुपस्थिति में विद्यालय में पदस्त शिक्षक राकेश मिश्रा के द्वारा बताया गया कि सीएम राइज विद्यालय के पूर्व में तय किए गए मापदंड के मुताबिक शिक्षकों का कोटा पूर्ण नहीं है गर्मी के चलते छात्र छात्रा भी नहीं आ रहे हैं आज विश्व वशुंधरा दिवस के अवसर पर उपस्थित बच्चों से उससे जुडी चीजों पर चर्चा की जा रही है।
मॉडल विद्यालय में भी दिखी वहीं स्थित,
कुछ इसी तरह का नजारा मॉडल विद्यालय में भी देखा गया जहां 335 छात्र दर्ज बताया गया लेकिन उपस्थित 50 के लगभग रही। विद्यालय की प्रभारी प्राचार्य इंदिरा कचेर ने बताया कि इस समय खेती किसानी का सीजन है और महुआ भी गिर रहा है इसलिए किसानों के बच्चे विद्यालय नहीं आ पा रहे हैं इसके लिए सभी शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है कि मोबाइल फोन के जरिए बच्चे या उनके अविभावकों से विद्यालय आने के लिए संपर्क किया जाए जिसकी समीक्षा मै खुद करती हूं और प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे विद्यालय में आएं।साथ ही बताया गया कि वोकेशनल एवं व्यवसायिक कोर्स के लिए लैब एवं कक्ष की कमी है जिसके बारे में पत्राचार किया गया है साथ ही यह भी बताया गया कि सी एम राइज विद्यालय का भवन निर्माण हो रहा है जिसमें ठेकेदार के द्वारा उनके विद्यालय की बाउंड्री व साइकिल स्टैंड तोड़ दिया गया है वहीं विद्यालय के लिए सड़क नहीं है जिसके बारे में पत्राचार किया गया है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब ब्लॉक मुख्यालय की इन दो सबसे बड़ी व चर्चित विद्यालयों की स्थिति इस तरह है तो दूर दराज एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भले ही विद्यालय संचालित हो रहे हैं लेकिन स्थिति इससे भी खराब रहती होगी जिससे यही माना जा रहा है कि विद्यालयों का संचालन भले ही हो रहा है लेकिन उद्देश्य की पूर्ति दूर-दूर तक नहीं हो रही है।