हड़ताल और बहिष्कार वकीलों का लोकतांत्रिक अधिकार इसे छीनने का दुस्साहस न करे सरकार- प्रदीप सिंह दीपू,

 

 

 

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। जिलाअधिवक्ता संघ सीधी के पूर्व कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप सिंह दीपू ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025 को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला करार दिया है। अधिवक्ता प्रदीप सिंह दीपू ने जारी अपने बयान में कहा है कि मोदी सरकार प्रस्तावित काले कानून के द्वारा न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने का प्रयास कर रही है बल्कि अधिवक्ताओं के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को कुचलकर अपनी निरंकुश सत्ता को स्थापित करने का कुत्शित प्रयास कर रही है। एडवोकेट प्रदीप सिंह दीपू ने अपने बयान में कहा कि प्रस्तावित विधेयक के तहत अधिवक्ताओं द्वारा हड़ताल और न्यायालय बहिष्कार पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है। यह सरकार की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हड़ताल और बहिष्कार अधिवक्ताओं का लोकतांत्रिक अधिकार है इसे छीनने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जब अधिवक्ता अन्याय या सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ आवाज ही नहीं उठाएंगे तो न्यायालय में निष्पक्षता और पारदर्शिता कैसे बनी रहेगी? अधिवक्ता प्रदीप सिंह ने अपने बयान में कहा कि प्रस्तावित कानून में सरकार अधिवक्ताओं पर पेशेवर विकास शुल्क और अनिवार्य पंजीकरण लागू करके उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर करने की भी साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित काले कानून में केंद्र सरकार को विदेशी कानूनी फार्मो के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गया है, जिससे विदेशी ला फॉर्म भारतीय न्याय प्रणाली में प्रवेश कर स्थानीय अधिवक्ताओं का हाशिए पर धकेलने का खतरा बढ़ जाएगा। इस कानून के द्वारा भारतीय वकीलों के पेशेवर अस्तित्व के लिए भी खतरा है। अधिवक्ता प्रदीप सिंह दीपू ने अपने बयान के अंत में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित यह काला कानून स्पष्ट रूप से न्यायपालिका पर सरकार के हस्तक्षेप को मजबूत करने और अधिवक्ताओं को सरकार के अधीन करने का षड्यंत्र है। यह न केवल संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुचलने की एक गहरी साजिश भी है। उन्होंने कहा कि अगर इस विधेयक को लागू किया जाता है तो आने वाले समय में न्यायपालिका एक स्वतंत्र संस्थान न रहकर सरकार के इशारे में नाचने वाली कठपुतली बन जाएगी। अधिवक्ता प्रदीप सिंह दीपू ने सभी अधिवक्ताओं एवं नागरिकों का आह्वान करते हुए कहा कि देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सबको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 का पुरजोर विरोध करना चाहिए।

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