गांधी जी की हत्या में भारतीय राजनीति
बीरबल समाचार सीधी। 30 जनवरी1948 को गांधी जी की हत्या बिड़ला निवास के सामने बने मंदिर में लगभग 60 लोगों की मौजूदगी में हुई ,किसी ने हत्यारे को अपमानित या दंडित नहीं किया।गांधी जी की हत्या में पाकिस्तान के विभाजन को मूल कारण बताया जाता है जबकि गांधी जी की हत्या में ग्राम स्वराज का उनका सपना (देश का हर गांव अपने आप में एक स्वतंत्र राजनीतिक आर्थिक इकाई हो)पूंजीपतियों के दलाल नेताओं को खटक रहा था। जब हर गांव स्वतंत्र होते तो गांवों का विस्थापन ना होता न पर्यावरण का संकट खड़ा होता।गांधी जी का यही सपना गांधी जी की हत्या का कारण बना जिसे देश में मौजूद हर राजनीतिक दलों ने चर्चा का विषय बदलकर हिंदू मुस्लिम रंग दिया। ग्राम स्वराज के नाम को बदल कर पंचायती राज का सपना राजीव गांधी ने देखा लेकिन कांग्रेस ने ही इसे स्वीकार नहीं किया।पंचायती राज अधिकारियों के लूट का चारागाह बन गया। ग्राम स्वराज से पंचायती राज तक जनता को पूंजी का गुलाम बनाने का कानून जबरिया जनता पर थोपा जा रहा है। गांधी जी की हत्या को धार्मिक दृष्टि कोण से न देखकर आर्थिक दृष्टि कोण से देखकर समझने सोचने की जरूरत वर्तमान में जो नए विश्व व्यवस्था का संचार करेगा। जिसमें पर्यावरण सहित बेरोजगारी भुखमरी सहित दुनिया भर में बढ़ रही असमानता का समाधान होगा। 1950 में योजना आयोग की पहली बैठक में जवाहर लाल नेहरू जी ने कहा था की देश में व्याप्त असमानता एक दिन आतंकवाद का कारण बनेगी ग्राम स्वराज का सपना आतंकवाद को भी जड़ से खत्म करदेगा।