परिवहन विभाग के द्वारा बिना ट्रायल बनाए जा रहे हैं ड्राइविंग लायसेंस,
ड्राइविंग ट्रेनिंग के फर्जी प्रमाण पत्र पर बन रहे हैं लायसेंस,
परिवहन अधिकारी खुलेआम कर रहे हैं नियम व निर्देशों की अव्हेलना,
बीरबल समाचार सीधी। जिला परिवहन कार्यालय से हर महीने करीब एक हजार से 12 सौ लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आते हैं और ऑनलाइन-ऑफलाइन आवेदन देते हैं, लेकिन विभागीय तौर पर इनके लिए न ट्रायल ट्रैक हैं और न ही ट्रायल लेने के लिए कोई इंतजाम। फिजिकली तौर पर टेस्ट कर इन्हें लर्निंग लाइसेंस जारी किए जाते हैं। कागजी खानापूर्ति एजेंट या कार्यालय स्तर से पूरी कर ली जाती है। जिले में संचालित निजी ड्राइविंग स्कूलों के सर्टिफिकेट और सीधे तौर पर फार्म भरकर लाइसेंस बनावा लिए जाते हैं, जबकि इनकी टेस्टिंग ट्रायल टैंक पर होनी जरूरी है, अभी जिला स्तर पर ट्रायल ट्रैक नहीं बन सके हैं। केंद्र सरकार ने ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोलने की योजना बनाई है किंतु जिले में शासन स्तर से इस ट्रेनिंग स्कूल का संचालन न कर परिवहन कार्य में लगे, एजेंटों को स्कूल संचालन का जिम्मा थमा दिया गया। यह ट्रेनिंग स्कूल बंद कमरे में संचालित हैं, जहां दाम देने पर आराम से सर्टिफिकेट मिल जाते हैं। यह देखने वाला कोई नहीं है कि जिसके नाम लाइसेंस जारी किया जा रहा है, उसे वाहन चलाना आता है या नहीं। उधर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के साथ ही सीधी जिले में भी ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोले जाने की केंद्र सरकार की योजना है। जिसमें पूरा ड्राइविंग टेस्ट को सिखाने का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर रहेगा। स्कूल व ट्रायल ट्रैक खोलने वालों को केंद्र सरकार से बड़े स्तर पर आर्थिक विज्ञापन भी मिलेगा और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए खुद भी निवेश करना पड़ेगा। ज्यादातर ट्रेनिंग स्कूल एनजीओ के माध्यम से खोले जाएंगे। इसे कोई भी एनजीओ, व्यक्ति या संस्था खोल सकती है।
नहीं हैं ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक,
जिला मुख्यालय पर अभी ड्राइविंग टेस्टिंग के लिए कोई ट्रैक या सुविधा नहीं है। जो स्थान निर्धारित किया गया है, वहां तक भारी वाहनों का पहुंचना ही संभव नहीं हो पाता। जिसके कारण वाहन चलाने में दक्षता या योग्यता के लिए कोई टेस्ट नहीं हो रहे हैं। बिना ट्रायल ट्रैक के ही परिवहन कार्यालय परिसर में शारीरिक तौर पर वाहन चलवाकर देख लिए जाते हैं। दरअसल आरटीओ भवन परिसर में इतना स्पेस और ट्रैकनुमा सडक़ नहीं है, जिस पर बकायदा टेस्टिंग की जा सके। कुल मिलाकर बिना परिवहन अधिकारी कार्यालय से संबंधित सभी सेवाएं पाने के लिए अलग-अलग सुविधा शुल्क निर्धारित किया गया है। दलालों के माध्यम से संबंधित सुविधा शुल्क देने पर सभी सेवाएं तत्परता पूर्वक मिल जाती हैं। यदि कोई व्यक्ति सीधे आवेदन करता है तो उसे संबंधित लिपिक नजर अंदाज कर देते हैं और दलाल के माध्यम से आवेदन की पूरी औपचारिकताएं पूर्ण करने का मशबरा देते हैं। मजबूरी में लोगों को काम कराने के लिए दलालों के माध्यम से ही अपने आवेदन को पूर्ण करने की प्रक्रिया निभानी पड़ती है।