धडल्ले से होटलों में बिक रही मिलावटी मिठाइयां,

ताजी है पूंछकर ग्राहक हो जाते हैं संतुष्ट,

त्यौहारों एवं पूजन कार्यक्रमों में होती है खूब बिक्री,

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। शासन के आदेश के बावजूद होटलों में बिकने वाली मिठाइयों में एक्सपायरी डेट प्रदर्शित करने वाले स्टीकर लगाने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। मिठाइयों का उपयोग अमूमन हर शुभ कार्य, त्यौहारों एवं पूजा-पाठ में किया जाता है। जिसके चलते बाजारो में रोज बड़ी संख्या में इनकी बिक्री होती है। लेकिन अफसोस दुकानों के शो-केस में सजी मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट कहीं भी नजर नहीं आती है। जबकि नियमो के मुताबिक मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट होना अनिवार्य है। क्योंकि शो रूमों और दुकानों पर खुले में बिकने वाली मिठाइयां जीवन की मिठास को फीका कर सकती हैं। जिसके चलते सरकार पहली बार मिठाई दुकानदारों को नियमों के दायरे में लाई है। इसके तहत मिठाई बेचने वाली दुकानों पर दुकानदारों को मिठाई पर एक्सपायरी डेट लिखनी होगी साथ ही यह भी लिखना होगा कि मिठाई कब बनाई गई है और कब तक खाने के योग्य है। जब शहर की प्रतिष्ठित मिठाई दुकानों में पड़ताल की गई तो कहीं भी मिठाई की ट्रे पर एक्सपायरी डेट का उल्लेख नहीं था और आम लोग भी इसको लेकर जागरूक नहीं दिखाई दिए। जब बड़ी-बड़ी दुकानों में ही इसका पालन नहीं हो रहा था तो छोटी मोटी दुकानों की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। यह नियम इसलिए है कि उपभोक्ता को पता रहे कि जो मिठाई वो खरीद रहा है वह खाने लायक है भी कि नहीं। दुकान दारों ने बताया कि मिठाइयों में एक बड़ी रेंज होती है। जिस पर बार-बार तारीख बदलना मुश्किल होता है। इसलिए ग्राहक पहले ही ताजी है पूंछकर तसल्ली कर लेता है और जो दुकाने छोटी होती है और कर्मचारी भी नहीं होते हैं उनकी ट्रे पर रोज स्टिकर चिपकाने और निकालने में बहुत समय लगता है। इसलिए दुकानदार पहले ही बता देता है की मिठाई कितने दिन तक चलेगी। उधर जानकारों का कहना है कि होटलों में बिकने वाली मिठाइयों में एक्सपायरी डेट का स्टीकर न लगाने से ग्राहक यह नहीं जान पाते कि यह कब बनी है। उनको काफी पुरानी मिठाई होने का पता स्वाद चखने के बाद ही चलता है। तब तक ग्राहक खरीदी गई मिठाई लोगों के बीच परोस चुका होता है। जिम्मेदार विभागों के अधिकारी इस मामले में कभी भी कोई कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझते हैं। उधर जांच के बावजूद डेयरी में भी अपमिश्रित खोवा एवं दूध की बिक्री बेखौफ होकर की जा रही है। कई डेयरी संचालक तो सिंथेटिक खोवा एवं दूध के साथ ही अपमिश्रित पनीर की बिक्री भी करने में कोई खौफ नहीं खा रहे हैं।

 

 

 

 

जांच के बाद भी नियम की अनदेखी,

 

 

 

कलेक्टर के आदेश पर दीपावली त्यौहार के पूर्व सीधी शहर के होटलों में जांच के लिए कई दिनों तक विशेष अभियान चलाया गया। संयुक्त टीम के अधिकारी जांच में पहुंचने के बाद वहां मौजूद मिठाइयों के सेंपल राज्यस्तरीय प्रयोगशाला भोपाल के जांच के लिए भरे गए। विडंबना यह है कि इस जांच अभियान के दौरान होटल व्यवसायियों को इस बात के लिए निर्देश देने की जरूरत नहीं समझी गई कि होटलों के काउंटर में मौजूद मिठाइयों पर आखिर एक्सपायरी डेट का स्टीकर क्यों नहीं लगाया गया है। दुबारा यदि मिठाइयों में एक्सपायरी डेट का स्टीकर नहीं लगा पाया गया तो संबंधितों के विरुद्ध भारी भरकम जुर्माना कार्यवाही की जाएगी। जानकारों का कहना है कि जांच का अभियान होटलों के साथ ही डेयरी प्रतिष्ठानों में चलने के बाद भी वहां कोई सुधार नजर नहीं आता।

 

 

राजस्थान मिष्ठान भंडार में सबसे ज्यादा मिलावट,

 

शहर में राजस्थान मिष्ठान भंडार की तीन दुकानें संचालित हैं, इन दुकानों में अपेक्षाकृत अन्य दुकानों से ज्यादा भीड़ भी रहती हैं, वजह यह है कि चमचमाती मिठाई सिर्फ इसी दुकान में मिलती है, जबकि जानकार बताते हैं कि मिठाई में चमक नहीं है कैमिकल में है जो सुंदरता को निखार रही हैं। बता दें कि राजस्थान मिष्ठान भंडार की दुकानों में कई दिनों पुरानी मिठाइयों को काउंटर में सजाकर धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। फिर भी इस मामले में कार्यवाही न करना यही माना जा रहा है कि जिम्मेदार विभाग के अधिकारी होटल संचालक के आगे नतमस्तक हैं।

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