प्रशासक की मनमानी से बिगड़ी किसानों की व्यवस्था,

प्रभावित किसानों के साथ कर्मचारियों द्वारा की जा चुकी हैं शिकायत,

मामला सहकारी समिति कुसमी में पदस्थ प्रशासक का,

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। जिले के आदिवासी विकासखण्ड कुसमी में किसानों को उनकी योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है। किसान एक तरफ जहां खाद बीज के लिए चक्कर लगा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ किसानों का बैंक कहा जाने वाला जिला सहकारी बैंक शाखा कुसमी प्रशासक एवं प्रबंधक की लापरवाही के चलते मुसीबत का सबब बनता जा रहा है।गौरतलब हो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते सरकार भी इस विकासखण्ड में ज्यादा फोकस कर रही है लेकिन सरकार की योजनाओं को लागू करने वाले सरकारी अमले तमाम आला अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। अब तो लोग यह भी कहने लगे हैं कि कुसमी विकासखण्ड को पता नहीं किसकी की बुरी नजर लग गई है, सुरसा की तरह मुंह फाड़कर बैठे भ्रष्टाचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। जबकि 42 पंचायतों वाले इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में शासन की समस्त जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित है लेकिन आदिवासी के साथ साथ हर गरीब वर्ग के लोगो के पास योजनाएं नहीं पहुंच पाती है जिसका प्रमुख कारण बीच में बैठे बिचौलिए बताएं जा रहे हैं। आरोप है कि प्रशासक गणेश चंद्रवंशी एवं प्रभारी समित प्रबंधक संतोष त्रिपाठी के तानाशाही रवैए से शासन के विशेष आदेश के बाद भी आज दिनांक तक कुसमी समित से किसी भी बैगा समुदाय के लोगो को केसीसी ऋण नहीं मिला, सूत्र बताते हैं कि यह हितग्राही बैंक में जाते है तो प्रभारी शाखा प्रबंधक मोतीलाल रजक द्वारा डाट फटकार भगा दिया जाता है और कहते हैं कि यह बैंक का नहीं समित का काम है, समिति में जाते है तो समिति प्रबंधक बोलते है की बैंक से नहीं कर रहे है आखिर गरीब के लिए कौन आगे आएगा। जिन्हें सरकार ने जिम्मेदारी दी है उनका यह रवैया है।

 

 

कागजों में हो रहा खाद्यान्न का वितरण,

 

 

कुसमी समिति अंतर्गत आने वाली उचित मूल्य दुकानों का हाल यह है कि खाद्दान वितरण की व्यवस्था सिर्फ कागजो तक ही सीमित है, बताया गया है कि शासकीय दुकान रुंदा में 03 माह से खाद्दान वितरण नहीं हुआ विक्रेता से बात की गई तो बताया की समित प्रबंधक के आदेश से सब काम होता है मैं अपने मन से कोई भी कार्य नहीं कर सकता जबकि शासन से स्पष्ट आदेश है की जिन समिति में वितरण व्यवस्था सही नहीं है वहां की दुकाने समूह को दी जाए फिर भी जिले का जिम्मेवार प्रशासनिक अमला गरीबों का निवाला डकारने वालो को पाल कर रखा गया है।

 

 

 

व्यापक पैमाने पर हो रही खाद्यान्न कटौती,

 

कुसमी समिति के जूरी-रुंदा दुकान की शिकायतें आए दिन आती रहती हैं। सबसे ज्यादा यहां शिकायत खाद्यान्न कटौती की आती है, सूत्र बताते हैं कि करीब 05 वर्षों से जूरी दूकान एवं रुंदा के विक्रेता मनीष तिवारी है लेकिन दूकान उनके गुर्गे द्वारा संचालित की जा रही हैं। यहां उपभोक्ताओं से एडवांस में फिंगर लगवा लिया जाता है और उन्हें बोल दिया जाता है की आपका खाद्दान लेप्स हो गया है। बैगा समुदाय के लोगो द्वारा बताया गया की शासन से 35 किलो खाद्यान्न मिलने का आदेश है लेकिन 25 से 30 किलो ही मिलता है उसमे भी तौल कम रहता है विक्रेता कभी नहीं आते। इस कालाबाजारी में समित प्रबंधक संतोष त्रिपाठी एवं प्रशासक गणेश चंद्रवंशी की भूमिका संदिग्ध है।

 

 

 

पहले भी चर्चा में रहा प्रशासक का नाम,

 

 

इन दिनों कुसमी सहकारी बैंक के प्रशासक के पद पर पदस्थ गणेश चंद्रवंशी अपने क्रियाकलापों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहे हैं।  चंद्रवंशी प्रशासक के पूर्व फूड आफीसर के चार्ज में थे जिनके कार्यकाल में व्यापक पैमाने पर खाद्यान्न वितरण में अनियमितता पाई गई थी, जांच उपरांत कलेक्टर द्वारा चंद्रवंशी को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन अब फिर विभागीय अधिकारियों से सांठ गांठ जमाकर 15 समितियों के प्रशासक बन गए है और उसी तरह यहां भी भ्रष्टाचार की गंगा बहाई जा रही है। हालात यह हैं बिना सुविधा शुल्क अगर किसी कार्य को लेकर किसान इनके पास जाता है तो उसे चक्कर पर चक्कर लगाना पड़ता है।

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