कार्यपालन यंत्री ने आठ माह से जमाया रेस्टहाउस में डेरा,

महान नहर संभाग का है व्हीआईपी रेस्टहाउस,

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। शहर के गोपालदास बांध के तट पर स्थित व्हीआईपी रेस्टहाउस में महान नहर संभाग के कार्यपालन यंत्री एवं उनके ड्राइवर का डेरा आठ महीने से जमा हुआ है। यह मनमानी इसलिए बनी हुई है क्योंकि व्हीआईपी रेस्टहाउस के बड़े अधिकारी कार्यपालन यंत्री हैं और उनके द्वारा ही नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। दरअसल महान नहर संभाग सीधी के अंतर्गत व्हीआईपी रेस्ट हाउस गोपाल दास बांध के किनारे में बना है जिसमें कार्यपालन यंत्री पीके त्रिपाठी एवं उनके वाहन चालक द्वारा दिनांक 7 मार्च 2024 से आज दिनांक तक कमरा नंबर दो कार्यपालन यंत्री एवं कमरा नंबर 4 में वाहन चालक रह रहे हैं। क्या कोई शासकीय कर्मचारी को इतने दिनों तक किसी सरकारी विश्राम भवन में रहने की अनुमति मिलती है यदि ऐसा नहीं है तो क्या इनके द्वारा दोनों कमरे का किराया दिया जाएगा और उनके द्वारा सरकारी राजस्व का नुकसान किया जा रहा है। कार्यपालन यंत्री द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर व्हीआईपी रेस्ट हाउस में विगत 8 महीने से कब्जा जैसे किया हुआ है। एवं बिजली पानी का खर्च अन्य सेवाएं मुक्त में ली जा रही है। यह कहां तक उचित है अगर इसकी बारीकी से जांच की जाए तो लाखों रुपए सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। दरअसल महान नहर संभाग के कार्यपालन यंत्री के लिए सरकारी बंगला मौजूद है। फिर भी वे इसलिए वहां नहीं जाना चाहते क्योंकि उनको बंगले में रहने पर अपने से सभी व्यवस्थाएं बनानी पडेंग़ी। विभागीय सर्किट हाउस में उनके ठहरने से जो कुछ भी खर्च हो रहा है वह विभागीय मद में दर्ज किया जा रहा है। उनको यहां बिस्तर से लेकर खाने पीने भी सभी सहूलियतें मौजूद हैं। हुक्म बजाने के लिए सर्किट हाउस में तैनात कर्मचारी हाजिर रहते हैं। इसी वजह से विभागीय आला अधिकारी के साथ उनका ड्राइवर भी सर्किट हाउस में जमे हुए हैँ।

 

 

क्या कहता है नियम,

 

 

पीडब्लूडी विभाग में नियम के बारे में जाना जाए तो उसके अनुसार किसी अधिकारी को रहने के लिए तीन दिन की अनुमति होती है। उसके बाद अगर कोई रह रहा है तो 600 रुपए प्रति दिन के हिसाब से पैसा देना पड़ता है। यह नियम जल संसाधन विभाग के व्हीआईपी रेस्टहाउस में भी लागू होता है। फिर भी महान नहर संभाग के कार्यपालन यंत्री और उनके ड्राइवर के लिए यह नियम लागू नहीं हो रहा है। कारण रिकार्ड में इन दोनो के ठहरने का व्यौरा दर्ज नहीं किया जा रहा है। जिससे आगे चलकर इन्हें आवश्यक राशि नियमानुसार जमा न करना पड़े। बड़े अधिकारी एवं उनके ड्राइवर द्वारा सर्किट हाउस के दो कमरों में आठ महीने से कब्जा जमाकर विभागीय सुविधाओं का नि:शुल्क उपभोग करने की चर्चा विभागीय गलियारों में भी काफी सुर्खियों में बनी हुई हैं।

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