विश्वामित्र जयन्ती का आयोजन,

विश्वामित्र जी एक कुशल शासक, प्रशासक तथा उपासक थे: पुष्पराज,

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। विश्वमित्र सद्भाव मंच की ओर से ब्रम्हर्षि विश्वामित्र जयन्ती का आयोजन मधुसूदन पैलेस गांधी चौक सीधी में किया गया। समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, संविदाकार एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग कार्यवाह श्री पुष्पराज सिंह परिहार द्वारा अपने उद्बोधन में बताया गया कि एक तपस्वी तथा एक साधक के रूप में विश्वामित्र जी की तपस्या एवं साधना अप्रतिम थी संसार के कल्याण के लिए उन्होंने भगवान राम और लक्ष्मण को महल से निकालना उचित समझा एवं उन्हें दिव्य अस्त्रों से पूर्ण करने के लिए दशरथ जी से मांगा था वरना वे स्वयं आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए सक्षम थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शासकीय कन्या महाविद्यालय सीधी के पूर्व प्राचार्य एवं हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि विश्वामित्र जी ने अपनी तपस्या और पराक्रम के बल पर ईश्वरीय सत्ता को भी चुनौती देने का साहस किया था। उनकी यज्ञशाला ही नहीं अपित वेधशाला और आयुधशाला भी सर्वश्रेष्ठ थी। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ दुर्गा एवं विश्वामित्र जी की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। इस अवसर पर शिक्षक विनोद तिवारी एवं उनके साथियों द्वारा भगवान श्री गणेश की स्तुति की गई। सेवानिवृत्त एस डी ओ फारेस्ट उमापति सिंह गहरवार द्वारा सभी उपस्थित महानुभावों का वाणी के माध्यम से स्वागत किया गया। विषय का प्रवर्तन करते हुए चिन्मय मिशन सीधी के अध्यक्ष डॉ.लहरी सिंह ने बताया कि विश्वामित्र जी ने कई आविष्कार भी किए हैं, वह बहुत बड़े वैज्ञानिक भी थे। नए शस्त्र, नए अन्न तथा गायत्री मंत्र का अविष्कार उन्होंने किया है।समारोह की विषय वस्तु में अपने भावों का प्रस्फुटन करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सेवानिवृत्त शिक्षक आनन्द प्रसाद तिवारी ने विश्वामित्र जी को एक ऐसा अध्येता बताया जिसने अपने अध्यात्म और तपस्या के बल पर ब्रह्मत्व की पदवी प्राप्त की। उन्होंने विश्वामित्र के गाधि तनय से महामुनि और ज्ञानी बनने तक का उल्लेख किया। विश्वामित्र जी की वंश परंपरा का उल्लेख करते हुए उनके राजर्षि से ब्रम्हर्षि बनने तक की यात्रा का वर्णन किया। इस अवसर पर मिशन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य करने वाली प्रतिभाओं को सम्मानित भी किया गया, जिनमें वरिष्ठ समाज सेवी श्री बाला प्रसाद जी गुप्त पूर्व जिला संघ चालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सीधी, वरिष्ठ शिक्षिका एवं कलाकार श्रीमती अजीता द्विवेदी, वरिष्ठ लोक कलाकार श्री नरेन्द्र सिंह बघेल एवं श्रीमती रीता भारती को सम्मान पत्र एवं शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया साथ ही अन्य कलाकारों को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अरुण कुमार सिंह चौहान ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में पुष्पराज सिंह ने विश्वामित्र जी को एक कुशल, शासक, प्रशासक तथा उपासक निरूपित किया।

पूरे कार्यक्रम के दौरान नरेन्द्र बहादुर सिंह, शिक्षक विनोद तिवारी, अजीता द्विवेदी, सुलोचना पाण्डेय, गुड़िया पाण्डेय, आरती मिश्रा, अंशुमान एवं अमितांजल मिश्रा द्वारा अपने भजनों के माध्यम से समारोह को बांधे रखा। कार्यक्रम में जगत प्रताप सिंह बाबा, विजय सिंह परिहार, उमापति सिंह गहरवार, देवी चरण शर्मा, प्रह्लाद प्रसाद गुप्ता, जगत बहादुर सिंह, अर्जुन दास लखेरा, जगत प्रताप सिंह चौहान, विश्वनाथ सिंह चौहान गाड़ा, जगत प्रताप सिंह जोगीपुर, विश्वनाथ सिंह चौहान कुकुडीझर, एस पी दीक्षित, ब्रज मोहन योगी, रूपेश मिश्रा, ललन सिंह गहरवार, जी डी गुप्ता, संतोष सिंह गहरवार, धर्मेंद्र सिंह गहरवार, रविशंकर पांडे का सराहनीय योगदान रहा।

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