बेल्हा डैम के भुगतान को लेकर रची जा रही साजिश
जिला पंचायत के नवागत सीईओ को गुमराह करने का चल रहा षड्यंत्र,
करोड़ों रुपए पानी में बहाने का मामला छाया था सुर्खियों में,
बीरबल समाचार सीधी। जिले के जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत बन रहे बेलहा डैम का निर्माण कार्य तीन वर्ष बाद भी पूरा नहीं हुआ, पूर्व में बनाई गई सुरंग की दीवालों से जगह जगह पानी का रिसाव हो रहा है, लेकिन अब अधूरे कार्य को ही पूरा दिखा कर भुगतान कराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि एक दो नहीं बल्कि दस करोड़ रुपए से अधिक इस डैम के निर्माण में लग चुके है बाबजूद इसके इसका कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है, जबकि इस कार्य को आरंभ करने से पहले जो स्टीमेट बनाया गया था उसके अनुसार अब तक जो राशि खर्च की गई है उसका आधा भी नहीं था, लेकिन कहते हैं न कि सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का, यहां भी ठीक उसी तरह हुआ, तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री हिमांशू तिवारी ने जिला पंचायत से जितना मद हो सका उतना इसके लिए खींचा, यहां से विभागीय कार्य के नाम पर विभिन्न मद की राशि इसमें फूंक दी और इतने में भी संतुष्टि नहीं हुई तो विधायक मद की राशि भी स्थानीय विधायक को गुमराह कर लगा दी। जबकि हकीकत यह है कि इस निर्माण कार्य के नाम पर जितनी राशि उनके द्वारा लगाई गई उतने में ही उसके बड़े दो सुरंग तैयार हो सकते थे। उल्लेखनीय हैं कि कुसमी जनपद क्षेत्र अंर्तगत बन रहे बेलहा डैम को लेकर स्थानीय लोगों ने काफी सपने संजोए थे जिसका कारण यह रहा कि अगर बांध का पानी इस पार तक पहुंच जाता तो लोगों को अच्छी खेती करने को मिलने लगती। लेकिन यहां बैठे भ्रष्टाचारियों ने इस कार्य के नाम पर तो दोगुनी राशि खर्च दी फिर भी लोगों को पानी नहीं मिल सका है। और अब इसके निर्माण के नाम बची राशि को भी षडयंत्र पूर्वक आहरित करने की जुगुत शुरू कर दी गई है।
राजधानी में भी पहुंची थी डैम की कहानी,
जिले के कुसमी विकासखण्ड अंतर्गत बन रहे बेलहा डैम की चर्चा सिर्फ जिले भर में ही नहीं रही हैं, बल्कि इस डैम के नाम पर किए गए भ्रष्टाचार की आवाज राजधानी भोपाल तक गूंजी है। हाल ही में रीवा एवं जबलपुर से जांच करने आईं टीम ने भी इस बात को स्वीकारा था कि सरकार के पैसा का दुरूपयोग किया गया है। इसके अलावा अन्य कई निर्माण कार्यों में भी व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी पाए जाने के फलस्वरूप प्रभारी कार्यपालन यंत्री सहित तीन को निलंबित कर भोपाल अटैच कर दिया था। अब उसी डैम के निर्माण कार्य के नाम पर संविदाकार द्वारा विभाग में दबाव बनाकर फंसी हुई राशि के भुगतान का कुचक्र रचना शुरू कर दिया गया है।
ठेकेदार को मिल रहा विभागीय संरक्षण,
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सीधी के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के इशारे से मझौली क्षेत्र के संविदाकार ने लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए घटिया निर्माण कार्य करा कर ऐंठ लिए थे। इस ठेकेदार द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों की आज भी ईमानदारी पूर्वक जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपए वसूली निकलेगी। लेकिन ऐसा होगा नहीं कारण कि ठेकेदार ने राज नेताओं से लेकर हर एक को खुश करने में कोई कोर नहीं छोड़ी है, जिसका परिणाम यह रहा कि भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करने वाले संविदाकार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। अब वह नए तरकीब से फंसे पैसे को निकालने के कुचक्र रचना शुरू कर दिए हैं।