सरकारी अस्पताल को खत्म कर गरीब और आमजन के जीवन से खिलवाड़ करेगी भाजपा सरकार- उमेश तिवारी,

बीरबल समाचार सीधी। प्रदेश के दस जिला अस्पतालों को पीपीपी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के बहाने निजी हाथों को सौंप कर प्रदेश की डॉ मोहन यादव की भाजपा सरकार गरीबों और आमजन के लिए बचे खुचे सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी छीन कर प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को माफियाओं के हवाले कर देना चाहती है। जिससे न केवल स्वास्थ्य सुविधाएं महंगी होंगी बल्कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। निजी हाथों को सौंपने से निजी निवेशक इसे जन स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए नहीं बल्कि मुनाफे के लिए चलाएंगे। भाजपा सरकार का यह कदम प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाला जनविरोधी कदम है। पीपीपी मोड में निजी निवेशकों को इतने अधिकार दिए गए हैं कि वे सरकारी डॉक्टरों, नर्सो, अन्य स्टाप की सेवाएं खतम कर अपनी मर्जी के डॉक्टरों, नर्सो अन्य स्टाप को नियुक्ति दे सकते हैं। यह मरीजों की लूट को बढ़ाने में मददगार होगा। अपनी बात रखते हुए कामरेड बद्री मिश्रा ने कहा कि निजीकरण की शुरुआत 1970 से शुरू हो गई थी 1990 में वैश्वीकरण उदारीकरण और निजीकरण का कानून ही बना दिया गया मौजूदा सरकार सब कुछ बेचने पर उतारू है। अपनी बात रखते हुए रम्मानी मिश्रा ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ लड़ाई बड़ी है आमजन को बड़ी ताकत से लड़ना पड़ेगा लड़ाई के बाद ही बैंक का कोयले का हवाई का राष्ट्रीयकरण किया गया था। अपनी बात रखते हुए उर्मिला रावत ने कहा कि निजीकरण होने से बेड का चार्ज डिलीवरी का चार्ज एवं दवा सभी का चार्ज लगेगा जिससे गरीब को दवाई करना कठिन हो जाएगा। अपनी बात रखते हुए मनोज कोल ने कहा कि सब कुछ बेचा जा रहा है स्कूल भी बीच गई सड़क भी बीच गई अब अस्पताल भी बेची जा रही है। सत्याग्रह धरने का संचालन गुरु प्रसाद कोल नें किया।
सत्यग्रह धरने को इन्होंने भी किया सम्बोधित,
अस्पताल को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में अयोजित सत्याग्रह आंदोलन को सुन्दर सिंह, प्रभात वर्मा, विनायक पटेल, विकाश नारायण तिवारी, राम रहीश कोल, जायलाल विश्वकर्मा, जगदीश तिवारी, फतेबहादुर सिंह, मानिकलाल साकेत, महेंद्र शेखर साकेत आदि। धरने के बाद राजयपाल के नाम सात सूत्री ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा गया।