सीटू यूनियन द्वारा वेतन पुनरीक्षण सहित पांच सूत्री मांग पत्र जिलाधीश को सौपा गया,

 

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। देश व प्रदेश में कारखाने ,सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों एवं अन्य कंपनियों में ठेका पद्धति आउटसोर्सिंग व फिक्सटर्म वर्क्स से स्थानीय प्रकट के काम कराया जा रहा है । जिन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन ही दिया जाता है । सीमेंट मजदूर एकता यूनियन सीटू के द्वारा आयोजित प्रदेश व्यापी 30 सितंबर 2024 को जिला मुख्यालय में जिलाधीश को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। बेरोजगारी के इस दौर में उच्च स्तरीय डिग्री धारी युवा भी ठेकेदारी फिक्स टर्म वर्कर्स आउटसोर्सिंग आदि व्यवस्था में लूट के शिकार हो रहे हैं जो न सिर्फ दुर्भाग्य जनक है बल्कि देश की संपदा पैदा करने वाले श्रमिक वर्ग विशेषता उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं पर कूटराघाट है ।इस ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री को संज्ञान में लाना चाहते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र व निजी क्षेत्र के उद्योग में 60 से 90% उत्पादन इन्हीं ठेकेदारी ,फिक्सटर्म वर्कर्स, आउटसोर्सिंग मजदूरों से कराया जा रहा है ।केंद्र सरकार विभिन्न राज्य सरकारों निगम मंडलों स्थानीय निकायों का अधिकतम काम भी इन्हीं श्रेणी के कर्मचारियों से कराया जा रहा है इसी के साथ केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा मामूली मानदेय व प्रोत्साहन राशि पर आंगनबाड़ी व आशा उषा सहित अन्य योजना कर्मियों से स्थानीय प्रगति का काम कराया जा रहा है। यह सर्व विदित है कि पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से अस्थाई कर्मचारियों की भर्ती नहीं की जा रही है और बड़ी संख्या में अस्थाई श्रमिक व कर्मचारी सेवानिवृत्ति हो रहे हैं इससे स्पष्ट है कि सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक व निजी उद्योगों में अस्थाई कर्मचारी व श्रमिकों की व्यवस्था ही खत्म कर दी जा रही है ।

हम आपके संज्ञान में यह भी लाना चाहते हैं की विकराल परिस्थितियों में मध्य प्रदेश सरकार ने श्रमिकों को न्यूनतम वेतन तक में भी भारी गड़बड़ी कर प्रदेश के लाखों श्रमिकों व कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय किया है मध्य प्रदेश न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण वर्ष 2014 में हुआ था नियम अनुसार 5 वर्ष बाद 2019 में या पुनरीक्षण होना था लेकिन पुनरीक्षण को 9 वर्ष 6 माह बाद और अप्रैल 2024 में लागू किया गया है इस देरी के चलते श्रमिकों को 107352 रुपए से लेकर 155034 रुपए प्रति श्रमिक की राशि छीनकर नियोक्ता के तिजोरी में पहुंचा दिया। इतना ही नहीं एक माह वेतन पूर्ण निरीक्षण का वेतन वृद्धि कर श्रमिकों को दिया गया। उसके बाद मालिकों द्वारा सरकार से मिला गुलामी कर उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ में हासिल स्थगन आदेश के बाद घटा दिया गया है। 1 अप्रैल 2024 से दे पूणरीक्षण वेतन पर इस स्थगन के बाद लगभग 6 माह गुजर गए और बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिला इसका अर्थ है केवल इन्ही 6 माह में प्रदेश के श्रमिकों को 9750 से 146004 रुपए प्रति श्रमिक की कटौती झेलनी पड़ी है । इस कालगुलरी से न्यूनतम वेतन कानून के दायरे में आने वाले मध्य प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा श्रम को कर्मचारियों से बढ़ी हुई रकम छीनकर उसे कारखाना मालिकों व सरकार की तिजोरी में डाल दिया गया ।सेंटर आफ ट्रेड यूनियन के अगुवाई में 11 श्रम संगठन के साथ मिलकर आज वेतन पूणरीक्षक व न्यूनतम वेतन को लेकर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा गया। जिसके तहत सीधी जिले में सीटू यूनियन से संबंध सीमेंट मजदूर एकता यूनियन सीटू आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका एवं मध्य प्रदेश मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के द्वारा जिलाधीश मुख्यतः पांच सूत्रीय ज्ञापन सौपा गया ।

ज्ञापन सौंपने वालों में से मुख्य रूप से तेज प्रताप दुबे अध्यक्ष विक्रम सिंह महासचिव अरविंद सिंह बघेल कार्यवाहक अध्यक्ष विभूतिभूषण शर्मा सहायक महासचिव संजीव मिश्रा कोषाध्यक्ष श्रवण द्विवेदी राजेश त्रिपाठी आंगनवाड़ी सहायिका की ओर से सत्यभामा सिंह मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की ओर से अरविंद कुमार सोनी रामनिवास पाराशर संदीप यादव गणेश द्विवेदी अभिजित द्विवेदी सहित सैकड़ो साथी उपस्थित रहे

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