जिले में आयोजित हुई मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता की परीक्षा,
25 हजार से अधिक नवसाक्षर हुए परीक्षा में शामिल,
बीरबल समाचार सीधी। जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी ने जानकारी देकर बताया है कि प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ाने हेतु भारत सरकार के निर्देशानुसार संचालित उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम अंतर्गत आयोजित मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता परीक्षा में नवसाक्षरों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अध्याय 21 के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ाने हेतु 15 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के असाक्षरों को साक्षर करने हेतु कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिसमे ’’जन जन साक्षर’’ का उद्धेश्य रखा गया है। कलेक्टर एवं सी.ई.ओ. जिला पंचायत के मार्गदर्शन में राज्य शिक्षा केन्द्र के दिशा निर्देश अनुसार 22 सितम्बर को मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता परीक्षा का सफल आयोजन किया गया। विकासखण्ड सीधी में 9 हजार 480, सिहावल में 5 हजार 260, रामपुर नैकिन में 4 हजार 975, मझौली में 3 हजार 987 तथा कुसमी में 1 हजार 684 मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता परीक्षा में सम्मिलित हुए। नवसाक्षर जो किसी कारणवश अपनी बाल्यावस्था में औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके थे वे उम्र के इस पड़ाव पर स्कूलों में टाटपट्टी, दरी और कुर्सियों में बच्चों की तरह बैठकर परीक्षा देने में काफी उत्साहित दिखे। कई नव साक्षरों ने इसे अपने जीवन का बेहतरीन अनुभव स्वीकार करते हुए कहा कि जो गलती कहीं न कही उनके अभिभावकों से हुई या परिस्थितियों की वजह से वे नहीं पढ़ सके अपने बच्चों के साथ कदापि ऐसा नहीं होने देगे। उक्त मूल्यांकन परीक्षा में वे नवसाक्षर शमिल हुए जिन्होने एन.आई.एल.पी. एप के माध्यम से आनलाइन सर्वे द्वारा चिन्हांकित किये गये हैं तथा राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा तैयार की गई उल्लास अक्षर पोथी प्रवेशिका से अध्ययन कर चुके है। इसके साथ ही साक्षरता मिशन के अंतर्गत संचालित कक्षाओं के ऐसे शिक्षार्थी जिन्होने प्रवेशिका पूर्ण कर अंतरिम मूल्यांकन में सफलता प्राप्त की हो तथा प्रमाणीकरण नही किया जा सका हो वे भी इस मूल्यांकन परीक्षा में सम्मिलित हुए। साथ ही ऐसे व्यक्ति जो पूर्व शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं तथा उनके पास किसी प्रकार का प्रमाणीकरण नही है वे भी परीक्षा में सम्मिलित रहे है। असाक्षरों को पढाने हेतु ’’इच वन टीच वन’’ का सिद्वांत भी रखा गया जिसमें डाइट के छात्राध्यापकों एवं विद्यालय के छात्रों का भी भूमिका महत्वपूर्ण रही जिसमें उन्होने अपने घर एवं बसाहट के असाक्षरों को स्वयं पढ़ाया तथा परीक्षा में सम्मिलित कराया। परीक्षा के लिए जिले में शासकीय प्राथमिकध्माध्यमिक शालाओं को परीक्षा केन्द्र निर्धारित किया गया था, जिसमें प्राथमिकध्माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं एवं अक्षर साथियों आदि के सहयोग से पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन का कार्य सम्पादित किया गया। मूल्यांकन परीक्षा हेतु समस्त शासकीय विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाया गया था तथा शाला प्रभारी उक्त परीक्षा हेतु केन्द्राध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। परीक्षा प्रातः 10 बजे से सायं 05 बजे तक संचालित की गई तथा परीक्षा की अवधि 03 घंटें की थी जिसमें नवसाक्षर अपनी सुविधानुसार परीक्षा में सम्मिलित हुए। मूल्यांकन कार्य प्राथमिकध्माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं एवं अक्षर साथियों आदि के सहयोग से पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन का कार्य सम्पादित किया गया। जिन नव साक्षरों ने पढ़ना, लिखना एवं बुनियादी संख्यात्मकता में 33 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त किया उन्हे ’’नीड टू इम्प्रूवमेंट’’ के अंतर्गत लिया गया है तथा उन्हे आगामी परीक्षाओं में पुनः शामिल किया जायेगा। साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा में डाइट प्राचार्य, डाइट के व्याख्याता एवं सभी विकासखण्डों के प्रभारी, जिला प्रौढ शिक्षा अधिकारी, समस्त विकासखण्डों के बी.आर.सी., बी.ए.सी., सह समन्वययक साक्षरता एवं जन शिक्षकों ने विभिन्न केन्द्रों में संचालित परीक्षाओं का निरीक्षण किया।