गाजेबाजे के साथ हुई बप्पा की विदाई,

शहर में निकली शोभायात्रा, घाटों में उमड़ी भीड़,

 

 

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। गणपति बप्पा को धूमधाम से विदा करने और अगले वर्ष पुनः आमंत्रण के साथ जिले भर में शोभायात्रा निकाली गईं। विसर्जन यात्रा में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष और युवा थिरकते हुए नजर आ रहे थे।गणेश महोत्सव के आज दस दिन पूरे होने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन जिले भर में धूमधाम से किया गया। गणेश विसर्जन शोभायात्रा के दौरान भक्त झूमते नाचते और हाथों से एक दूसरे के ऊपर गुलाल और अबीर उड़ाते हुए दिखे। श्रद्धालुओं का कहना है कि गणपती बप्पा अगले वर्ष जल्दी आएँ जिससे फिर से हमको सेवा करने का अवसर मिले। तो वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी देखने को मिले। पुष्प वर्षा और रंग गुलाल के बीच निकाली गई गणपति विसर्जन यात्राओं में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष और युवा डीजे की धुनों पर जमकर थिरकते हुए नजर आ रहे थे। बता दें कि गणेशोत्सव की शुरुआत में जहां भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा को ढोल-नगाड़ों के साथ घर-घर और मंदिर-पंडालों में स्थापित करते हैं, तो वहीं पूरे दस दिनों तक बप्पा की पूजा-अर्चना करने के बाद उन्हें नदी में विसर्जित करने के लिए भगवान गणेश की शोभायात्रा निकालते हुए मूर्ति विसर्जन करते हुए उन्हे अगले वर्ष के लिए विदाई देते है।

6 सितम्बर को हुई थी मूर्ति स्थापना,

बीते 6 सितंबर को गणेश चतुर्थी के अवसर पर नगर साहित जिले भर में गणपति की स्थापना भव्यता के साथ की गई थी। जगह जगह विविध कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।बीते सोमवार को गणपति कथाओं के समापन के दौरान कई जगहों पर भंडारे का आयोजन भी किया गया था। मंगलवार को भी सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने आयोजित भंडारे में प्रसाद का स्वाद भी चखा। इसके बाद मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के पर्व पर बप्पा को विदाई देने विसर्जन शोभायात्राएं निकाली गईं।

झूमते-नाचते, अबीर-गुलाल उड़ाते नजर आए भक्त,

 

मंगलवार को सुबह से ही विसर्जन की प्रक्रिया से पहले गणपति की पूजा अर्चना की गई। गणपति को मोदक और मिष्ठान के भोग लगाया गया। एक कपड़े में सुपारी, दूर्वा, मिठाई आदि पूजा सामग्री रखकर उसको गणपति की मूर्ति के साथ बांधा गया। विदाई से पहले गणपति की आरती और जयकारे भी लगाये गये। मंगलवार को सैकड़ों की संख्या में शामिल भक्त विसर्जन यात्राओं में अपनी आस्था को नाचते गाते दर्शा रहे थे। हालांकि अलसुबह से शुरू हुई बारिश का दौर बाद दोपहर तक चलता रहा जिसके चलते विसर्जन जुलूस में उतनी संख्या नहीं देखी गई।

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