राजस्थान मिष्ठान भंडार पर मेहरबान जिले का प्रशासन, दिनों दिन फैलती जा रही दुकान, नपा नियमों की खुली अवहेलना, सात वर्ष के भीतर अकूत संपत्ति का मालिक बना संचालक,

बीरबल समाचार सीधी। शहर के छत्रसाल स्टेडियम कॉम्प्लेक्स, पुरानी बस स्टैंड एवं नवीन बस स्टैंड भानू कॉम्प्लेक्स में संचालित राजस्थान मिष्ठान भंडार की दुकान में मिठाई के नाम पर मीठा जहर बेचा जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस दुकान की जितनी खपत हैं उतना दूध शहर की बात तो दूर सीधी जिले में नहीं होता होगा ऐसे में इसके पास यह खोवा वाली मिठाई, रबड़ी, रसमलाई कहा से आती है इस ओर जिम्मेवार अधिकारियों की नजर नहीं जा रही है। उल्लेखनीय हैं कि सीधी शहर में राजस्थान मिष्ठान भंडार के नाम पर वर्ष 2017 में पहली दुकान संचालित हुई थी और सात वर्ष के भीतर तीन आलीशान दुकानों का मालिक हो गया। बताया जा रहा है कि शुरुआती दिनों में इनके पास रहने का ठिकाना नहीं था और आज राजस्थानी कोठी स्वयं तैयार कर रह रहें हैं। जिसकी अनुमानित कीमत करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। सात वर्ष के भीतर तीन आलीशान दुकानों का संचालन एवं करोड़ों रुपए की लागत से बनीं कोठी में आशियान अपने आप में अबूझ पहेली बना हुआ हैं। कारण कि सीधी शहर में इसके पहले से भी दर्जनों मिष्ठान भंडार की दुकान संचालित है जिनके पास एक से दो दुकान नहीं हो सकी और यह सात वर्ष तीन दुकान संचालित कर रहा है।
कैमिकल से तैयार हो रहीं मिठाई,
होटल करोबार से जुड़े लोगों से इस संबंध में जानकारी चाही गई तो चौकाने वाली बात निकल कर सामने आई है। बताया जा रहा है कि राजस्थान मिष्ठान भंडार में बिकने वाली मिठाई दूध व खोवा नहीं बल्कि कैमिकल से तैयार की जाती है। और स्वाद के चक्कर में लोग उसकी असली पहचान को भूल गए हैं। दूसरी बड़ी वजह है कि इसके यहां अन्य होटलों से सस्ते दामों पर मिठाई मिलती है। जिसके चलते लोगों की भीड़ जमा हो रहीं हैं। जबकि हकीकत यह है कि राजस्थान मिष्ठान भंडार में बिकने वाली मिठाई दूध और खोवे की नहीं बल्कि कैमिकल की जो कम लागत में तैयार हो जाती हैं।
समूचा प्रशासन संचालक की मुठ्ठी में,
राजस्थान मिष्ठान भंडार में आज तक जितनी बार भी स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्यवाही की गई उसका खुलासा नहीं हो सका है। कारण कि जैसे ही प्रशासन की टीम छापा मारकर जाती हैं वैसे ही होटल संचालक का आदमी मोटी रकम लेकर मैनेज करने पहुंच जाता है और जांच टीम द्वारा की गई कार्यवाही रद्दी की टोकरी में फेंक दी जाती हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि शहर के जागरूक लोगों का कहना है, शहर वासियों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि आज तक की कार्यवाही को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। इसका मतलब यह है कि मिठाई के नाम पर मीठा जहर बेचने वाले कारोबारी से इनकी सांठगांठ है।
चर्चा में हैं दुकान संचालक की लिस्ट,