विंध्य क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था और चिकित्सा के नाम पर किया जा रहा व्यवसाय जो हंसते खेलते परिवार में अंधकार पैदा कर रहा हैं। ऐसा ही वाक्या रीवा में संचालित विंध्या अस्पताल में देखने को मिला जहां चलते फिरते इंसान को अचेत करके वेंटिलेटर में डालकर गम्भीर होना बताया और जांच के नाम पर डेढ़ से पौने दो लाख रुपए ऐंठ लिए इस कारोबार में अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर दिनकर दुबे की भूमिका सबसे अधिक रहती है। इन्होंने मेरी बुआ का घर उजाड़ दिया है। गये थे स्वस्थ होने की उम्मीद लेकर शव लेकर लौटना पड़ा। और ये कारोबार आज जबसे मैं जानने लायक हुई हूं तबसे चल रहा है । लेकिन फिर भी सब मौन और अनजान होकर बैठे हैं । डॉक्टर के रूप में हैवान बैठे हैं इस अस्पताल में। ये वही अस्पताल है जहां मृत शरीर को रख कर और पैसे वसूले जाते हैं और शिकायत होने पर भी यहां कोई कार्यवाही नहीं होती है ।

बता दें की रीवा विंध्य क्षेत्र का हब्ब है जहां से पूरे रीवा सम्भाग को उम्मीद रहती है और जन उम्मीद पर रीवा खरा भी उतरता रहा है। लेकिन बीते 10वर्ष से रीवा की चिकित्सा व्यवस्था चौपट हो गई जिसे पटरी पर ले आना आसमान से तारे तोड़ने के समान हो गई है। विंध्य क्षेत्र के रीवा में संजय गांधी अस्पताल की स्थिति ठीक रहती थी लेकिन जब से इस अस्पताल के डाक्टरों ने अपनी अपनी अस्पताले संचालित कर ली है तब से संजय गांधी की व्यवस्था चौपट हो गई और निजी अस्पतालों के लिए लूट का माध्यम बन है।

उप मुख्यमंत्री के निवास से चंद मीटर दूर होता है जान का सौदा,

मध्यप्रदेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने का दावा तो करती है पर उपमुख्यमंत्री के गृह नगर रीवा में संचालित निजी अस्पतालों में खुले आम उपचार के नाम पर सौदा किया जा रहा है जिसपर नियंत्रण के कोई इंतजाम नहीं किए हैं। सबसे अधिक विंध्या अस्पताल में हो रहा है । इस निजी अस्पताल में तो शव को दो से तीन दिन रखकर उपचार के बहाने लाखो रुपए ऐंठ लिए जाते हैं।

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