अतिथि शिक्षकों ने महापंचायत की वर्षी मनाया, रैली निकाल कर सौंपा ज्ञापन,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी।। 2 सितंबर को अतिथि शिक्षक महासंघ के बैनर तले संगठन के प्रांतीय आह्वान पर धरना प्रदर्शन व रैली निकाल कर ज्ञापन सौंपा गया। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा हमारी बहुप्रतीक्षित मांगों के समाधान के लिए 02 सितंबर 2023 को अतिथि शिक्षक पंचायत आयोजित कर अतिथि शिक्षकों की विभागीय परीक्षा,सीधी भर्ती में पचास प्रतिशत आरक्षण,बोनस के अंक, गुरुजियों की तरह लाभ की प्रक्रिया, मानदेय दोगुना सहित वार्षिक अनुबंध जैसी और भी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई थीं । जिलाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने बताया कि एक वर्ष पूऱे हो जाने के बाद भी अतिथि शिक्षकों के हित में मानदेय दोगुने करने के अलावा इन अधिकारिक घोषणाओं पर अमल नहीं हुए हैं। अब अतिथि शिक्षकों ने ज्ञापन सौंपकर सरकार को चेतावनी दी है कि 4 सितंबर 2024 तक पूर्व की घोषणाओं सहित अतिथि शिक्षक से शिक्षक का दर्जा देने प्रक्रिया से संबंधित आदेश होते हैं, तो हम सरकार के आभारी रहेंगे, यदि आदेश तब भी नहीं होते हैं तो महापंचायत का आदेश जारी करने 4 सितंबर को राजधानी मे अतिथि शिक्षक मुख्यमंत्री से मिलने हजारों की संख्या में पहुंचेंगे।। आज ज्ञापन कार्यक्रम में लाला सिंह, राजेश पटेल सुनील सिंह चौहान तथा सैकड़ों की संख्या में अतिथि शिक्षक उपस्थिति रहे।

 

यह है प्रमुख मांगे,

 

 

 

 

1. खाली पदों पर अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति के आदेश तत्काल जारी हों।

2. अनुभव-वरिष्ठता के आधार पर विभागीय पात्रता परीक्षा आयोजित कर नियमित शिक्षक बनाया जाए।

3. अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर अतिथियों का पूरे एक साल का अनुबंध किया जाए।

4. शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण और हर साल 4 अंक या अधिकतम 20 अंक बोनस दिया जाए।

5. महीने की निश्चित तारीख को अतिथि शिक्षकों को मानदेय देने का आदेश जारी किया जाए।

 

 

 

 

तत्काल पूरा करे यह मांगे,

 

 

 

1. अतिथि शिक्षकों के स्कोर कार्ड में अनुभव के प्रति वर्ष 10 अंक और अधिकतम 100 अंक दिए जाय।

2. 30% से कम रिजल्ट वालो को एक और मौका प्रदान किया जाय।

3. किसी भी कारण बाहर हुए अतिथि शिक्षकों को रिक्त पदों पर समायोजित किया जाय।

 

शिक्षको की कमी से गरीब छात्रो का हो रहा नुकसान,

 

 

 

 

 

महत्वपूर्ण यह है,कि जनहित में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के क्षेत्र में गहराते जा रहे सरकार की उदासीन रवैये पर काबू किया जाए।जैसा कि तमाम अव्यवस्थाओं के बीच शिक्षकों की भारी कमी के चलते इस सत्र में दो महीने से औसतन पढ़ाई नहीं कराई जा सकी है,जिसका बच्चों की शिक्षा-दीक्षा पर दूरगामी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। तरह-तरह के प्रायोगिक नीतियां लागू करके स्कूलों की संख्या कम की जा रही है,जिस पर रोक लगाई जाए‌। आर टी ई में आवश्यक संशोधन के साथ देश के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक तत्व शिक्षा व्यवस्था को पीपीपी मोड जैसे हाथों में जाने से बचाया जाए।

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