फर्जी बिल के सहारे सचिव ने हजम कर ली लाखों की राशि

मामला कुसमी जनपद के ग्राम पंचायत दुआरी का,

 

 

 

 

बीरबल समाचार सीधी। मध्य प्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास के द्वारा ग्राम पंचायतो में विकास कार्य को लेकर पंच परमेश्वर,15 वां वित्त,पांचवा राज्य वित्त में राशि भेजी जाती है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकें लेकिन भ्रष्टाचार में संलिप्त सरपंच सचिवों द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य कर पूरी राशि आहरित कर बंदरवाट कर लिया जा रहा है और एक बार निर्माण कार्य होने के बाद उस तरफ पंचायत कर्मी देखने तक नहीं जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला जिले के कुसमी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत दुआरी से निकाल कर आया है जहां सरपंच सचिव भ्रष्टाचार करने में इतना मगन हो गये हैं कि निर्माण कार्य के लिये मटेरियल की एजेंसी नजदीकी वेंडरो से करने की बजाय जिला 80 किमी. दूर सीधी के वेंडर से खरीदी कर रहे हैं। जिसमें दुआरी के ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है, ग्रामीणों का आरोप है कि जब सारी सामग्री नजदीकी दुकानदारों के यहां उपलब्ध है तो फिर 80 किलोमीटर दूर से खरीदी किसके कहने पर की गई। गौरतलब हो कि इस मामले को लेकर ग्रामीणो ने आरोप लगाते हुए बताया कि पांचवा राज्य वित्त आयोग से पक्की नाली का निर्माण कार्य करीब 787290 की लागत से कराने की मंजूरी दी गई थी लेकिन घटिया मटेरियल से निर्माण कर समूची राशि हजम कर ली गई है। आरोप है कि एक वर्ष के अंदर ही नाली क्षतिग्रस्त होकर पट गई है, पानी निकासी न होने से गंदगी के चलते ग्रामीण परेशान हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर 7 लाख की लागत से बनाई गई नाली कैसे क्षतिग्रस्त हो गई। लोगो का कहना है कि इस तरह के कई निर्माण कार्य दुआरी पंचायत सचिव द्वारा किए गए हैं जो गुणवत्ता विहीन है पूरे निर्माण कार्यों की जांच यदि हो तो चौंकाने वाले खुलासा सामने आ सकते हैं।

फर्जी बिल लगाकर हुआ भुगतान,

ग्रामीणो ने आरोप लगाते हुए बताया कि यदि कोई वेण्डर अपनी दुकान से किसी सामान का क्रय विक्रय करता है तो उसे बिल में दिनांक अवश्य लिखता है मगर दुआरी सचिव के द्वारा इस नाली निर्माण कार्य में दो बिल जिसमे एक बिल 211000रूपये एवं दूसरा बिल361500 रूपये सार्वजनिक पोर्टल पंचायत दर्पण में फीड किया गया है जिसमें महादेव कान्टेक्शन सप्लायर बेण्डर ने किस तारीख को मटेरियल पंचायत को दिया इसका किसी तरह का उल्लेख दिनांक का नहीं है।और बिल सचिव ने फीड कर लिया, इससे साफ जाहिर होता है कि 80 किलोमीटर के वेंडर का बिल सचिव ने निर्माण कार्यों पर भले ही लगाये हैं लेकिन इस तरह के बिल बिना दिनांक के फीड करने का तात्पर ही यह निकलता है की फर्जी तरीके से बिल लगाया गया हैं। जबकि सामग्री कुसमी और टमसार के दुकानो से क्रय की गई है। दोगुना दर पर मटेरियल वो भी सीधी से क्रय करना संदेहात्मक है। जिसकी ग्रामीणो ने जांच की मांग उठाई है।

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