विपुल हत्याकांड में आरोपियों को नहीं मिली राहत,मझौली न्यायालय का फैसला रखा बरकरार,
पुत्र के हत्यारों को सजा दिलाने 5 वर्षों से विकलांग पिता लड़ रहा है कानूनी लड़ाई,
10 आरोपियों के साथ डॉक्टर,थाना प्रभारी, विवेचक भी पाए थे गए दोषी,
बीरबल समाचार सीधी मझौली। पुलिस थाना मझौली अंतर्गत ग्राम ताला का बहुचर्चित विपुल हत्याकांड में न्यायालय द्वारा अहम फैसला सुनाते हुए जहां न्यायालय धन कुमार कुड़ोपा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मझौली के फैसले को जायज बताते हुए सुरक्षित रखा गया है जिससे हत्यारे एवं सहयोगी थाना प्रभारी,डॉक्टर एवं विवेचक अपने आप को दोष मुक्त नहीं सिद्ध कर पाए।ऐसे में आदेश के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सीधी के तृतीय अतिरिक्त न्यायाधीश कुमारी उर्मिला यादव के द्वारा दिनांक 27 मई 2025 को आदेश पारित किया गया है जिसमें पुनरीक्षणकर्ता गण नागेंद्र सिंह बैस पिता अशोक बैस,आशीष सिंह बैस पिता गया प्रसाद बैस, बलराम सिंह बैस पिता कमलेश बैस,घनश्याम सिंह बैस पिता कमलेश बैस,धर्मेंद्र सिंह बैस पिता दयाशंकर बैस, जितेंद्र सिंह बैस पिता गया प्रसाद बैस,योगेश सिंह बैस पिता शिव प्रसाद बैस सभी निवासी ग्राम ताला थाना तहसील मझौली जिला सीधी मध्य प्रदेश उत्तर वादी भगवानदीन बैस पिता राम सखा बैस एवं मध्य प्रदेश राज्य द्वारा कलेक्टर सीधी जिला सीधी रहे। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकरण में विचारण न्यायालय द्वारा परिवादी भगवानदीन बैस एवं साक्षी गौरव मिश्रा,आशीष बैस,योगेंद्र सिंह बैस,उपेंद्र बैस,वैद्यनाथ सिंह,भूपेंद्र सिंह बैस के कथनों के आधार पर पुनरीक्षणकर्तागण के विरुद्ध 302/120 बी,497, 201 भारतीय दंड संहिता के अपराध का संज्ञान लिया है तथा तत्कालीन प्रधान आरक्षक राम प्रकाश पटेल,सनत कुमार द्विवेदी सहायक उपनिरीक्षक, तत्कालीन थाना प्रभारी सतीश कुमार मिश्रा थाना प्रभारी मझौली,ज्ञान प्रकाश बागरी द्वारा डॉक्टर राकेश तिवारी के सहयोग से मोटर दुर्घटना का प्रकरण दर्शाकर धारा 304ए भारतीय दंड संहिता का अपराध पंजीबद्ध किया गया है।उनके लोक सेवक रहने के दौरान लोक कर्तव्यों के अधीन कार्य करते हुए माना जा सकता है या नहीं यह प्रकरण के गुण दोषों से संबंधित है जिस आधार पर इनके विरुद्ध भी धारा 420, 467,468, 471, 472, भारतीय दंड संहिता के अपराध का संज्ञान लिया गया है। जिसमें मझौली न्यायालय द्वारा किसी भी प्रकार से अवैध एवं त्रुटि पूर्ण होना प्रथम दृष्टया दर्शित नहीं होता है। अतः उपरोक्त समस्त तथ्य एवं परिस्थितियों में पुनरीक्षण कर्ता द्वारा पुनरीक्षण में लिए गए आधार स्वीकार योग्य नहीं रह जाते हैं तथा विचारण न्यायालय द्वारा परिवाद प्रकरण क्रमांक आईसीटी/614/ 2022 भगवान दीन बैस विरुद्ध घनश्याम सिंह बैस उर्फ अंकित एवं अन्य में पारित आदेश दिनांक 06.12. 2022 में किसी प्रकार की अशुद्धता,अवैधता एवं अनौचित्यता दर्शित ना होने के फल स्वरुप पुनिरीक्षण कर्ता गण की ओर से प्रस्तुत याचिका क्रमांक61/2022,62/2022,63/2022,64/2022,65/2022 अंतर्गत धारा 397(1)दंड प्रक्रिया संहिता निरस्त कर दी गई है।
इस प्रकार है पूरा मामला
न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मझौली के समक्ष मृतक अनूप उर्फ बिपुल बैस के पिता भगवान दीन बैस ने परिवाद दायर किया था जिसमें धारा 200 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कथन किया था जिसमें परिवादी का कहना था कि मृतक अनूप उसका पुत्र है एवं दिनांक 23.08.2020 को लगभग दोपहर 1:30 बजे से आरोपीगण हत्या की साजिश शुरू कर दिए थे और रात 10:30 बजे उसी दिन सबने मिलकर हत्या कर दी थी लेकिन आरोपी गण अपने प्रभाव के बल पर पुलिस प्रशासन एवं डॉक्टर से साथ शांट गांठ कर सड़क दुर्घटना का प्रकरण तैयार कराया गया था जिससे व्यथित होकर मृतक के पिता ने परिवाद दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी जहां न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 16.12.2022 को दायर मामले को हत्या किया जाना घोषित किया जिस आधार पर घनश्याम सिंह बैस,बलराम सिंह बैस, जितेंद्र सिंह बैस, धर्मेंद्र सिंह बैस उर्फ छोटू,भूपेंद्र सिंह बैस उर्फ ठाकुर,आशीष सिंह बैस उर्फ पलटू,अनिल सिंह बैस, नागेंद्र सिंह बैस, योगेश सिंह बैस,संदीप सिंह बैस के विरुद्ध प्रथम दृष्टया भारतीय दंड विधान की धारा 302/ 120बी,457, 201 के अंतर्गत तथा अभियुक्त गण तात्कालिक प्रधान रक्षक 296 राम प्रकाश पटेल, सनत कुमार द्विवेदी सहायक निरीक्षक एवं तात्कालिक थाना प्रभारी सतीश कुमार मिश्रा थाना प्रभारी मझौली, ज्ञान प्रकाश बागरी सभी तात्कालिक थाना मझौली जिला सीधी मध्य प्रदेश एवं डॉ राकेश कुमार तिवारी तात्कालिक जनपद चिकित्साअधिकारी मझौली शव परीक्षण कर्ता के विरुद्ध प्रथम दृष्टया 420, 467, 468,471,472 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध किया जाना पर्याप्त आधार प्रकट होने पर दोषी करार दिया गया था उस आदेश के विरुद्ध आरोपीगण पुनरीक्षण याचिका दायर किए थे जहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है और मझौली न्यायालय के आदेश को यथावत रखा गया है।
मृतक के पिता ने उच्च न्यायालय में भी लगाई थी न्याय की गुहार,
मृतक के पिता भगवान दीन बैस जो निःशक्त हैं उनके मुताबिक जब आरोपी गणों द्वारा पुनरीक्षण याचिका दायर की गई जिस कारण उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई थी जिससे व्यथित होकर उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर कर पुनरीक्षण याचिका पर तत्काल सुनवाई कर आदेश पारित करने की मांग की थी जिसे न्यायालय द्वारा स्वीकार कर 7 जनवरी 2025 को न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की बेंच ने आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि जहां तक पुनरीक्षण न्यायालय के समक्ष अपराधिक परीक्षण के लंबित होने का संबंध है यह न्यायालय यह निर्देश देना उचित समझता है कि पुनरीक्षण न्यायालय को Cr.R संख्या 65/ 2022 पर शीघ्र विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया। यह उम्मीद की जाती है कि संशोधन न्यायालय इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से 90 दिनों की अवधि के भीतर मामले का निपटारा करेगा और ट्रायल कोर्ट कार्यवाही को एक साथ जोड़ेगा और आपराधिक मामले की कार्यवाही में तेजी लाएगा। ट्रायल कोर्ट कार्यवाही के उचित चरण में संबंधित पुलिस अधिकारियों और डॉक्टरों द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा के संबंध में शिकायत मामले में न्यायालय द्वारा किए गए तथ्यों और टिप्पणियों पर ध्यान दे सकता है। और इसी आदेश के आधार पर पुनरीक्षण याचिका में आदेश पारित किया गया है। फरियादी पीड़ित पिता ने न्यायालय के आदेश के आधार पर पुलिस प्रशासन से त्वरित कार्यवाही की मांग की है।