परीक्षित की निष्ठा से उनको मोक्ष मिला है-बाला व्यंकटेश,

पूजापार्क सीधी में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत का तृतीय दिवस

 

 

बीरबल समाचार सीधी।

 

 

 

सिद्धभूमि सीधी के पूजापार्क में शुभारंभ संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पं. बाला व्यंकटेश शास्त्री महराज वृन्दावनोपासक का माल्यार्पण से श्री कृष्ण रसामृत समिति के पदाधिकारी एडवोकेट लालमणि सिंह चौहान,सुरेन्द्र सिंह बोरा श्रीमती कुमुदिनी सिंह, सचिव डाॅ श्रीनिवास शुक्ल सरस साहित्यकार, भास्कर प्रताप सिंह, डाॅ गिरीश त्रिपाठी,अंजनी सिंह सौरभ,भोला प्रसाद गुप्त,पवन कुमार सिंह श्रीमती माधुरी सिंह आदि ने माल्यार्पण से स्वागत अभिनन्दन किया।इसके पूर्व व्यास पीठ का पूजाअर्चन आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चारण से हुआ। कथा प्रसंग की भूमिका में व्यास महराज ने भक्तों को बताया कि परीक्षित का एक लक्ष्य,एक कन्त और एक पंथ ने उनको मोक्ष का द्वार दिखा दिये। इस भाॅति परीक्षित की निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प ने अपना कल्याण कर लिया है।कथा को विवेचित करते हुए महराज जी ने कहा कि भगवान के बत्तीस चरण चिन्ह होते हैं। इसीलिए भगवान को उस समय बहुत पीड़ा होती है जब कोई उनका चरण स्पर्श करता है।अतएव हम मानव का दायित्व बनता है कि जहाॅ राम या कृष्ण रसामृत की चर्चा हो रही हो वहाॅ संस्कारी व्यवहार नही निभाना चाहिए। आज की कथा को विवेचित करते हुए महराज जी ने समुपस्थित भक्तों को यह भी बताया कि जो गुरु के शरण में भक्त आता है तब वह ब्रज में शिष्य का प्रवेश करा कर कमल तक की यात्रा पूरी करा देता है। फलतः गुरु कृपा से शिष्य सुबोध बन सकता है। इसलिए गुरु पर आस्था विश्वास और समर्पण का भाव होना चाहिए। इतना ही नही गुरुदेव के प्रति शरणागति का भाव होना चाहिए। व्यास जी ने उदाहरण देकर बताया कि नारद जैसे गुरु की बात को ध्रुव जी ने शिरोधार्य कर लिया तो उनको भगवान का बोध हो गया। बहुत ही सार्थक और सारगर्वित प्रसंग उद्घाटित करते महराज जी ने कहा कि जब ध्रुव को महराज की गोद नही मिली तब उनकी माॅ सुनीत ने आत्मविश्वास के साथ आश्वस्त किया था कि भले ही बेटे तुमको पिता की गोद नही दिला पाया लेकिन परम पिता परमेश्वर की गोद दिलाकर रहूँगी। अंततः ध्रुव के संकल्प के सामने भगवान को प्रगट होना पड़ा और दर्शन देकर यह कहा कि मैं ध्रुव को दर्शन देने नही बल्कि ऐसे तपस्वी का दर्शन करने आया हूॅ। सचमुच हमारा कृष्ण कितना सहृदय तथा समुदार है कि वह अपने भक्त के पीछे – पीछे चलता है। कथा प्रसंग मे महराज जी ने यह भी कहा कि भागवत धर्म समाज को एक सूत्र में पिरोता है। अतएव हम सबको श्रीमद्भागवत कथा के धर्म पर चलना चाहिए। कथा के उपसंहार में आरती भजन कीर्तन के साथ भागवत कथा का विश्राम हुआ। आज की कथा में शहर के गणमान्य नागरिक पत्रकार, व्यापारी तथा समाज सेवियों की उपस्थित विशेष उल्लेखनीय रही है।

डाॅ श्रीनिवास शुक्ल सरस

99276375840/8770281599

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